प. सुनील भराला ने कहा विश्व में वैदिक आर्य संस्कृति की स्थापना का आधार है भगवान श्री परशुराम ।
बागपत/मेरठ। भगवान श्री परशुराम के अवतरण दिवस के पावन अवसर पर पुरा महादेव में 11 कुंडलीय महायज्ञ का भव्य आयोजन किया गया और आहुति दी गई दी गई।
प्रथम बार भगवान श्री परशुराम जी की तपोभूमि पुरा महादेव में प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत उनकी मूर्ति स्थापित कर वहां महायज्ञ का आयोजन कर इस भूमि को पूरा शुद्धिकरण किया गया। महायज्ञ के उपरांत एक विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया ।
कार्यक्रम के उपरांत महासम्मेलन में बोलते हुए पंडित सुनील भराला, पूर्व राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार व संस्थापक राष्ट्रीय परशुराम परिषद ने बोलते हुए कहा कि यहां भगवान परशुराम जी की तपोभूमि है और उनकी तपस्या के उपरांत भगवान श्री परशुराम यहां संकल्पित है, स्वयंभु उत्पन्न हुए और यहां सिद्धि, तप और ज्ञान की प्राप्ति होती है । इस ज्ञान की प्राप्ति पर यहां स्वयंभु भगवान शंकर ने भी दर्शन दिए थे। यह पीठ इसी कारण से भगवान परशुराम के नाम से नहीं परशुराम महादेव के नाम से जानी गई।
इस पावन अवसर पर प. सुनील भराला पूर्व राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश एवं संस्थापक राष्ट्रीय परशुराम परिषद ने कहा कि विश्व में वैदिक आर्य संस्कृति की स्थापना के आधार भगवान परशुरामजी का अवतार भगवान नारायण का पहला पूर्ण अवतार है। भगवान् परशुरामजी का चरित्र वैदिक और पौराणिक इतिहास में सबसे व्यापक है।
उनका अवतार अक्षय है इसलिये उनके अवतार की तिथि अक्षय तृतीया कहलाई। इस तिथि पर किसी भी कार्य आरंभ के लिये शुभ मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती। उनकी उपस्थिति सतयुग के समापन से आरंभ होकर कलियुग के अंत तक रहने वाली है। इतना व्यापक और कालजयी चरित्र किसी देवता, ऋषि अथवा अवतार का नहीं है। पुराणों में यह उल्लेख भी है कि धर्म रक्षा के लिये कलयुग में जब कल्कि नारायण का कल्कि अवतार होगा तब उन्हें शस्त्र और शास्त्र का ज्ञान देने के निमित्त भी भगवान परशुराम जी ही होंगे।
श्री भराला जी ने बताया कि राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा विगत कई वर्षों के निरंतर प्रयास एवं साधू संत, महामंडलेश्वर, आचार्य महामंडलेश्वर, कुलपति और इतिहासकारो के सहयोग से भगवान श्री परशुराम से संबंधित 56 स्थानों की खोज की गयी। भगवान श्री परशुराम के जन्मस्थली जनापाव इन्दौर मध्यप्रदेश घोषित किया गया।
गृहमंत्री अमित शाह ने भगवान श्री परशुराम जी के जन्मस्थान जनापाव इन्दौर पहुँच कर पूजन किया एवं तात्कालिक मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा श्री परशुराम कल्याण बोर्ड गठन की घोषणा भी जन्मस्थान जनापाव इन्दौर से किया गया ।
प. सुनील भराला ने कहा कि परशुराम खेडा के नाम से प्रसिद्ध पुरामहादेव बागपत में महंत सूरज मुनि महराज और देव मुनि जी के सानिध्य और प्रयासों से सिद्धपीठ श्री परशुराम धाम की स्थापना की गयी है जोकि अत्यंत गौरव का विषय है।