मोदीपुरम। कैरियर विशेषज्ञ एवं शोभित विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ अभिषेक डबास ने शिक्षा के क्षेत्र में निजी विश्वविद्यालय की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की भारतीय शिक्षा का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है।
जहाँ एक तरफ आईआईटी और आईआईएम जैसे नामी संस्थान शिक्षा और प्लेसमेंट के मामले में शीर्ष पर हैं, वहीं दूसरी तरफ निजी विश्वविद्यालय, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विश्वविद्यालय तेजी से उभर रहे हैं। ये विश्वविद्यालय न सिर्फ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं बल्कि कौशल विकास पर भी अधिक ध्यान दे रहे हैं, जिससे छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर मिल रहे हैं। निजी विश्वविद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। क्योंकि पहले ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उच्च-वहन वाली नौकरियां पाना मुश्किल था।लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विश्वविद्यालय उनकी राह आसान कर रहे हैं। ये विश्वविद्यालय विभिन्न विषयों में कार्यक्रम उपलब्ध कराते हैं, जिससे ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को भी बेहतर शिक्षा मिल पाती है। इससे न सिर्फ छात्र सशक्त होते हैं बल्कि देश की प्रतिभा का भी भरपूर दोहन होता है। कौशल विकास पर जोर:नौकरी की गारंटी नहीं, कौशल निर्माण का वादा आज के दौर में सिर्फ डिग्री होना काफी नहीं है। उद्योगों को कौशलवान युवाओं की जरूरत है। ये विश्वविद्यालय उद्योग विशेषज्ञों के साथ मिलकर पाठ्यक्रम तैयार करते हैं ताकि छात्रों को वही कौशल मिल सकें जिनकी उन्हें नौकरी के लिए जरूरत होती है।
प्लेसमेंट में भी अग्रणी भूमिका: कौशल विकास पर ध्यान देने का नतीजा यह है कि इन विश्वविद्यालयों में छात्रों का प्लेसमेंट भी अच्छा हो रहा है। ये विश्वविद्यालय कैंपस भर्ती के लिए जानी-मानी कंपनियों को आमंत्रित करते हैं, कैरियर परामर्श का आयोजन करते हैं और छात्रों को साक्षात्कार कौशल सिखाते हैं। इससे न सिर्फ मेधावी छात्रों को बल्कि औसत और उससे ऊपर के छात्रों को भी अच्छी नौकरियां मिल पाती हैं।
ग्रामीण विकास में अहम भूमिका : ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विश्वविद्यालय सिर्फ छात्रों को शिक्षित और रोजगार दिलाने में ही मदद नहीं कर रहे हैं बल्कि राष्ट्रीय विकास में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. इन विश्वविद्यालयों से निकलने वाले कुशल युवा स्थानीय उद्योगों में रोजगार पा सकते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलता है. साथ ही, बेहतर शिक्षा और नौकरी के अवसर मिलने से प्रतिभाशाली युवा अपने गांवों में ही रहकर अपना योगदान दे सकते हैं, जिससे ब्रेन ड्रेन को रोका जा सकता है. निजी विश्वविद्यालयों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विश्वविद्यालयों का तेजी से विकास भारतीय शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव का संकेत है। इसलिए सरकार को भी इन निजी शिक्षण संस्थानों को राष्ट्र को सशक्त बनाने में दी जा रही महत्वपूर्ण योगदान के लिए इन्हें और अधिक मदद करने की आवश्यकता है।