लखनऊ एजेंसी। यूपी में पहले चरण की 8 सीटों पर शुक्रवार को 60.25 प्रतिशत वोटिंग हुई। यह आंकड़ा 2019 में इन सीटों पर हुई वोटिंग का 8.61 प्रतिशत कम है। पिछले तीन चुनाव को देखें तो इन सीटों पर 2009 में 56.87 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि 2014 में वोटिंग करीब 10 प्रतिशत बढ़कर 66.72 प्रतिशत तक पहुंच गई। ये वही चुनाव था, जब देश में मोदी लहर थी। जबकि 2019 में इसमें 2 प्रतिशत की बढ़त हुई और वोटिंग 68.86 प्रतिशत पर पहुंच गई।
एक्सपर्ट के मुताबिक, वोटिंग का यह ट्रेंड काफी कुछ कह रहा है। 2009 में इन 8 सीटों पर 56.87ः वोटिंग हुई, तो भाजपा को सिर्फ एक सीट पीलीभीत मिली थी। जबकि 3 सीट पर बसपा, 3 सीट पर सपा-रालोद गठबंधन और 1 सीट कांग्रेस के हिस्से में आई थी। वहीं, 2014 में जब वोटिंग परसेंट 10 फीसदी बढ़कर 66.72 हुआ तो सभी 8 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की।
वहीं, 2019 में वोटिंग परसेंट में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, तो भाजपा 3 सीटों पर सिमट गई। जबकि सपा-बसपा ने गठबंधन में चुनाव लड़कर 5 सीटों पर कब्जा किया। तब भाजपा ने कैराना, मुजफ्फरनगर और पीलीभीत सीट पर जीत दर्ज की। जबकि सहारनपुर, बिजनौर और नगीना बसपा और मुरादाबाद और रामपुर में सपा जीती थी।
2024 में हुई 60 प्रतिशत वोटिंग को लेकर एक्सपर्ट का मानना है कि चुनाव टक्कर का है। भाजपा को मुश्किल हो सकती है। वोटों का ध्रुवीकरण नहीं हुआ है। मतलब सभी सीटों पर भाजपा को सपा गठबंधन से कड़ी टक्कर मिल सकती है।
पीलीभीत में इस बार 61.91 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जो पिछले साल से 7.19 प्रतिशत कम है। 2019 में पीलीभीत में 69.1 प्रतिशत और 2014 में 62.9 प्रतिशत मतदान हुआ था।
सहारनपुर में इस बार 65.95प्रतिशत वोटिंग हुई है। जो कि पिछले चुनाव से 7.75 प्रतिशत कम है। यहां 2019 में 73.7 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2014 में 74.2 प्रतिशत और 2009 में 63.3 प्रतिशत मतदान हुआ था।