
नई दिल्ली एजेंसी। भाषा विवाद के बीच एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की है कि 2025-26 शैक्षणिक सत्र से कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में पेश किया जाएगा। बुधवार को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी एक सरकारी संकल्प (जीआर) के माध्यम से निर्णय सार्वजनिक किया गया। अभी तक, तीन-भाषा सूत्र केवल माध्यमिक शिक्षा स्तर पर लागू किया गया है। इस कदम के साथ, यह सूत्र अब मराठी-माध्यम और अंग्रेजी-माध्यम विद्यालयों में भाषाई ढांचे को नया रूप देने के उद्देश्य से प्राथमिक शिक्षा तक विस्तारित होगा। नए अपनाए गए राज्य पाठ्यक्रम ढांचे के अनुसार, दोनों माध्यमों के छात्रों को कक्षा 1 से ही हिंदी सीखना शुरू करना होगा। मराठी या अंग्रेजी के अलावा अन्य शिक्षण माध्यम वाले स्कूलों के लिए मराठी और अंग्रेजी अनिवार्य हो जाएंगे, जबकि संबंधित शिक्षण माध्यम तीसरी भाषा के रूप में काम करेगा। जीआर ने एनईपी के चार-चरणीय रोलआउट की रूपरेखा तैयार की है, जिसकी शुरुआत 2025-26 में कक्षा 1 से होगी। एनईपी पारंपरिक 10़2़3 संरचना से अधिक लचीले और आयु-उपयुक्त 5़3़3़4 मॉडल में बदलाव भी पेश करता है, जो स्कूली शिक्षा को चार अलग-अलग चरणों में विभाजित करता है। फाउंडेशन स्टेज (आयु 3 से 8) प्रारंभिक चरण (कक्षा 3 से 5) पूर्व-माध्यमिक चरण (कक्षा 6 से 8) माध्यमिक चरण (कक्षा 9 से 12) इसे भी पढ़ेंरू महाराष्ट्ररू ठाणे की इमारत में आग लगने से 95 बिजली मीटर जलकर खाक राज्य शिक्षा विभाग के उप सचिव तुषार महाजन ने एक नोटिस में कहा यह नई नीति पिछली 10़2़3 प्रणाली को 5़3़3़4 प्रारूप में पुनर्गठित करती है, जो बुनियादी से लेकर उच्च स्तर तक की शिक्षा को कवर करती है। नीति को राज्य में धीरे-धीरे लागू किया जा रहा है। यह पाँच स्तंभों पहुँच, समानता, गुणवत्ता, सामर्थ्य और जवाबदेही, और 2030 तक हासिल किए जाने वाले सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ संरेखित है।