
मेरठ हीरा टाइम्स ब्यूरो। उत्तर प्रदेश एनसीसी के 15 सदस्यीय साइक्लोथोन दल का शहर आगमन पर एनसीसी ग्रुप मुख्यालय मेरठ द्वारा भव्य स्वागत किया गया। नववर्ष पर 1 जनवरी को मेरठ से 1900 किलोमीटर की साइकिल यात्रा पर ब्रिगेडियर नरेंद्र चराक के नेतृत्व में निकले 15 सदस्यीय दल का मुख्य अतिथि सब एरिया कमांडर मेजर जनरल भूदेव परिदा वीएसएम और सन् 1971 के युद्ध के वीर चक्र से सम्मानित कर्नल जितेंद्र कुमार और उत्तर प्रदेश एनसीसी के अपर महानिदेशक मेजर जनरल विक्रम कुमार और एनसीसी ग्रुप मुख्यालय मेरठ के ब्रिगेडियर नवीन राठी ने 70 यूपी बटालियन एनसीसी के ग्राउंड पर भव्य स्वागत किया। मुख्य अतिथि द्वारा पूरे दल को किट प्रदान की गई। कैडेट्स के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। 5 छात्राओं सहित यह दल प्रदेश में सन् 1857 की क्रांति के प्रमुख स्थान पर श्रद्धांजलि अर्पित कर नगर वासियों को इस ऐतिहासिक घटना की पूरी जानकारी देगा। और युवा पीढ़ी को अपने पूर्वजों के बलिदानों की याद दिलाते हुए खुद को सशक्त भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध करेगा। रोजाना औसतन 112 किलोमीटर की 17 दिवसीय यात्रा के अंत में इस दल को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गणतंत्र दिवस समारोह की श्रृंखला में आयोजित एनसीसी की पीएम रैली के दौरान फ्लैग इन किया जाएगा। ज्ञात हो कि अंग्रेजों से पहले 2000 वर्षों में भारत अनेक साम्राज्यों व छोटे राजघरानो द्वारा शासित किया जाता था। सन् 1608 में अंग्रेज आए और अगले 100 वर्षों में उन्होंने लगभग पूरे हिंदुस्तान पर कब्जा कर लिया। सन् 1825 से 1850 के दौर में भारतीय मूल के सैनिकों से बनी ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने न सिर्फ पूरे हिंदुस्तान में उनके आर्थिक हितों की रक्षा कर रही थी बल्कि अंग्रेजों की ओर से अफगानिस्तान, चीन, बर्मा, पर्शिया, (ईरान) और कीमियां से भी लड़ रही थी। परंतु सैनिकों के कल्याण के बारे में कोई सोच नहीं थी। सन् 1855 के आसपास अंग्रेजी शासन के खिलाफ रोष और बढ़ने लगा प्रमुखत कठोर शासन प्रणाली, खेती बाड़ी पर बढ़ता लगान , स्थानीय उद्योगों को खत्म करना और भारतीय मूल के राजघरानो पर कब्जा इसके मुख्य कारण थे। इसी समय सैनिकों के लिए एक नई राइफल आयी जिसमें गोली को मुंह से काटकर भरा जाता था। ऐसा माना जाता था की गोली पर गाय और सूअर की चर्बी से लेप होता था जो भारतीय सैनिकों के धर्म के खिलाफ था। ऐसी स्थिति में फरवरी 1857 में एक पलटन ने इन कारतूसों को इस्तेमाल करने से मना कर दिया। सैनिकों को निशस्त्र कर दिया गया। इसी मसले पर नाराज होकर मंगल पांडे ने अंग्रेज अधिकारी पर हमला किया। जिसके लिए उनको फांसी दी गई। इस खबर ने रोष और बढ़ा दिया और जगह-जगह पर विद्रोह होने लगे। उत्तर प्रदेश में मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, अवध, (लखनऊ), बनारस, इलाहाबाद, और कानपुर इसके प्रमुख केंद्र रहे। हार और भारी नुकसान के बावजूद इस घटना ने आगे आने वाले समय में भारत की स्वाधीनता की राह प्रशस्त की। इसी कारण सन् 1857 की क्रांति को सही मायने में भारतीय आजादी को का प्रथम युद्ध कहा जाता है। कार्यक्रम में 72 यूपी बटालियन एनसीसी के कमांडिंग आफिसर कर्नल अभिषेक पवार प्रशासनिक अधिकारी कर्नल रविंद्र सिंह भंडारी और सीएबी इंटर कॉलेज के एनसीसी ऑफिसर विजयपाल
सांवरिया उपस्थित रहे।