
मेरठ हीरा टाइम्स ब्यूरो। ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ से न केवल समय व धन की बचत होगी बल्कि देश का विकास और आम जनमानस पर भी बार-बार होने वाले चुनाव का प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह शब्द भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित एक राष्ट्र एक चुनाव बिल के समर्थन में आयोजित कार्यक्रम में प्रबुद्धजनों को संबोधित करते हुए कहा। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के नेताजी सुभाष चंद्र बोस प्रेक्षागृह में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ बिल के समर्थन में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह, विशिष्ट अतिथि राज्य मंत्री डॉ सोमेंद्र तोमर, कुलाधिपति, विद्या विश्वविद्यालय प्रदीप जैन रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। पश्चात वंदे मातरम का सामूहिक गायन हुआ। कार्यक्रम आयोजक विशिष्ठ अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर ने उपस्थित प्रबुद्धजनों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक राष्ट्र एक चुनाव का विजन देश की अर्थव्यवस्था और सरकारी सुविधा के लिए बहुत ही आवश्यक है। बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा उत्पन होती है। आगे कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रित देश है। एक राष्ट्र एक चुनाव संपूर्ण देशवासियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। जनता भी हर समय चुनाव के कारण परेशान रहती है। इसलिए लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एक साथ होने से सरकारी संसाधनों पर दबाव कम होगा। सुरक्षा बल ठीक प्रकार से व्यवस्था कर पाएंगे और विकास कार्य भी बाधित नहीं होंगे। मुख्य अतिथि धर्मपाल सिंह ने कहा कि“एक साथ चुनाव कराना कोई नई बात नहीं है। स्वतंत्र भारत में 1951 से लेकर 1967 तक सभी राज्य की विधानसभाओं और लोकसभा के आम चुनाव साथ-साथ होते थे। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के पहले आम चुनाव 1951-52 में एक साथ आयोजित किए गए थे। यह परंपरा इसके बाद 1957, 1962 और 1967 के तीन आम चुनावों के लिए भी जारी रही। हालाँकि, कुछ राज्य विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण 1968 और 1969 में एक साथ चुनाव कराने में बाधा आई थी। चौथी लोकसभा भी 1970 में समय से पहले भंग कर दी गई थी, फिर 1971 में नए चुनाव हुए। पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा ने पांच वर्षों का अपना कार्यकाल पूरा किया। जबकि, आपातकाल की घोषणा के कारण पांचवीं लोकसभा का कार्यकाल अनुच्छेद 352 के तहत 1977 तक बढ़ा दिया गया था। इसके बाद कुछ ही, केवल आठवीं, दसवीं, चौदहवीं और पंद्रहवीं लोकसभाएं अपना पांच वर्षों का पूर्ण कार्यकाल पूरा कर सकीं। जबकि छठी, सातवीं, नौवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं और तेरहवीं सहित अन्य लोकसभाओं को समय से पहले भंग कर दिया गया। पिछले कुछ वर्षों में राज्य विधानसभाओं को भी इसी तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ा है। विधानसभाओं को समय से पहले भंग किया जाना और कार्यकाल विस्तार बार-बार आने वाली चुनौतियां बन गए हैं। इन घटनाक्रमों ने एक साथ चुनाव के चक्र को अत्यंत बाधित किया, जिसके कारण देश भर में चुनावी कार्यक्रमों में बदलाव का मौजूदा स्वरूप सामने आया है। आगे कहा कि भारत सरकार ने 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक साथ चुनाव कराने पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। इसका प्राथमिक उद्देश्य यह पता लगाना था कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराना कितना उचित होगा। समिति ने इस मुद्दे पर व्यापक स्तर पर सार्वजनिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं मांगीं और इस प्रस्तावित चुनावी सुधार से जुड़े संभावित लाभों और इसकी चुनौतियों का विश्लेषण करने के लिए विशेषज्ञों से परामर्श किया। यह रिपोर्ट समिति के निष्कर्षों, संवैधानिक संशोधनों के लिए इसकी सिफारिशों और शासन, संसाधनों तथा जन-मानस पर एक साथ चुनाव के अपेक्षित प्रभाव का विस्तृत अवलोकन प्रस्तुत करती है।
अलग-अलग समय पर राज्यों तथा लोकसभा चुनाव होने से देश के संसाधनों तथा श्रम शक्ति का ह्मस होता है। भारतीय जनता पार्टी ने 1984 के आम चुनाव में अपने घोषणा पत्र में राष्ट्र में एक राष्ट्र-एक चुनाव कराने का संकल्प लिया था।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में गठित उच्च स्तरीय समिति ने भारत की चुनावी प्रक्रिया में एक क्रांतिकारी बदलाव की नींव रखी है। ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराना है ताकि राजनीतिक स्थिरता में मदद मिले और विकास कार्यों की निरन्तरता बनी रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने एक राष्ट्र एक चुनाव के महत्व को बताते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने एक मत होकर ष्एक राष्ट्र एक चुनावष् के बिल में अपना समर्थन दिया। मंच संचालन प्रोफेसर मनोज सिवाच ने किया। इस दौरान कैंट विधायक अमित अग्रवाल, एमएलसी धमेन्द्र भारद्वाज, पूर्व एमएलसी डॉ. सरोजनी अग्रवाल, राज्य महिला आयोग की सदस्या डॉ. हिमानी अग्रवाल ,कुवंर बिजेन्द्र शेखर, सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद, चिकित्सक, व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारी, विभिन्न समाजसेवी संगठन, सीए संगठन के पदाधिकारी, सीबीएसई संगठन के शिक्षकगण, मेरठ और जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, आर्किटेक्ट एसोसिएशन के सदस्य आदि मौजूद रहें।