मेरठ। जिला अस्पताल स्थित टीबी सेंटर में टीबी की दवाइयों की कमी का मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार शासन से टीबी सेंटर को दवाई नहीं भेजी गई। उधर, बाजार में भी 2 डी व 3 डी कॉम्बीनेशन किट नहीं मिल रही। टीबी के मरीज दवाई के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। ऐसे में प्रदेश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने की मुहिम पर पानी फिर सकता है। प्रदेश को टीबी मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुहिम चलाई जा रही है। इस मुहिम में जहां लोगों को टीबी के प्रति सचेत किया जा रहा है, वहीं मरीजों को टीबी सेंटर पर उपचार कराने के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
इसके लिए जिला अस्पताल में टीबी के मरीजों की जांच निःशुल्क की जाती है और उन्हें दवाई भी निःशुल्क दी जाती है। निरूक्षय पोषण योजना के तहत पंजीकृत क्षय रोगियों को पोषण के लिए डीबीटी के माध्यम से 500 रुपये प्रतिमाह की सहायता इलाज पूर्ण होने तक देने का प्रावधान है। मेरठ जिले में करीब 12 हजार टीबी के रोगी हैं। इनमें करीब 80 प्रतिशत मरीजों का उपचार टीबी सेंटर में किया जा रहा है। 20 प्रतिशत मरीज ही प्राइवेट चिकित्सकों से उपचार कराते हैं, क्योंकि इसकी दवाई महंगी होती है।
जिला टीबी सेंटर को शासन से टीबी के मरीजों के उपचार के लिए दवाई भेजी जाती है, लेकिन यह व्यवस्था लड़खड़ा गई। काफी दिनों से शासन से दवाई नहीं भेजी जा रही है।
सूत्रांे के अनुसार दवाई का संकट होने पर शासन ने बाजार से 2 डी व 3 डी कॉम्बीनेशन किट खरीदने के निर्देश दिए, लेकिन उक्त दवाई उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मरीजों के इलाज की समस्या खड़ी हो गई।
यदि मरीजों को दवा नहीं मिली तो उन्हें नए सिरे से पूरा इलाज करना पड़ेगा। इससे टीबी के और अधिक फैैलने का खतरा भी खड़ा हो गया है। इसलिए मरीज टीबी सेंटर पर दवाई के लिए भटक रहे हैं।