मेरठ । मेरठ की एसिड अटैक सर्वाइवर्स ने हालातों के आगे घुटने नहीं टेके, बल्कि इन पीड़िताओं ने साहस दिखाते हुए जिंदगी जीने का नजरिया बदला है। मेरठ में शुरू हुआ सेकेंड इनिंग कैफे इन्हीं सर्वाइवर्स की जीत का प्रमाण है। चेहरे पर तेजाब से हमले के निशान और दिल में गहरा दर्द लिए ये सर्वाइवर्स हारी नहीं, बल्कि आज लोगों को प्रेरणा दे रही हैं।
कैफे का संचालन एसिड अटैक सर्वाइवर्स करती हैंः मेरठ में हाल में ही एसिड अटैक सर्वाइवर्स ने सेकेंड इनिंग नाम से कैफे शुरू किया है। इस कैफे का पूरा मैनेजमेंट, कामकाज तेजाब पीड़िताएं देखती हैं।
जिला प्रशासन और शासन से मिली आर्थिक सहायता को इन तेजाब पीड़िता महिलाओं ने अपने इस काम में प्रयोग किया है। अपने सपनों को पंख और एक कैफे खोलकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम की है। कुछ सिरफिरे लोगों की वजह से मेरठ की शिवानी त्यागी की जिंदगी पर मानो ग्रहण लग गया। इस ग्रहण को खत्म करने के लिए शिवानी ने हिम्मत नहीं हारी और दोषी लोगों को सजा भी दिलवाई। इसके बाद शिवानी को सरकार की तरफ से 5 लाख का मुआवजा भी मिला था। पर जिंदगी इतनी आसान नहीं थी। कहीं ना कहीं उसे समाज में तिरस्कार की भावना का सामना करना पड़ता था।
पीएम रिलीफ फंड की राशि से मिला सहयोग: शिवानी को प्रधानमंत्री रिलीफ फंड से धनराशि मिली और शिवानी ने सोचा कि क्यों ना तेजाब पीड़ित महिलाओं के साथ कुछ रोजगार किया जाए। शिवानी ने प्रशासन, समाज सेवी और सरकार के सहयोग से मेरठ तहसील परिसर में एक ेमबवदक पददपदहे बंमि खोला है। जिसमें शिवानी के साथ गुलिस्ता, गीता, खुशबू और तेजाब पीड़ित शहनवाज भी जुड़ गए।
मेरठ शहर का पहला ऐसा कैफे: अब यह मेरठ का पहला ऐसा कैसे हैं जिस पूरी तरह तेजाब पीड़ित लोग ही मैनेज करते हैं। इन महिलाओं का कहना है कि हम समाज से अपील करते हैं कि वह भी उनका सहयोग करें।