
मेरठ हीरा टाइम्स ब्यूरो। विश्व हीमोफीलिया दिवस को मेडिकल कॉलेज, मेरठ के परिसर में स्थित मेडिसिन विभाग में एक सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) करके मनाया गया। सीएमई में वक्ता डॉ अनुपम निराला सीनियर रेसिडेंट मेडिसिन विभाग ने बताया कि थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला ब्लड डिसऑर्डर है। इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में बाधित होती है, जिसके कारण एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं। इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है। इसमें रोगी बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है, जिसके कारण उसे बार-बार बाहर से खून की आवश्यकता पड़ती है। कार्यक्रम में बाल रोग विभाग की सीनियर रेसिडेंट डॉ अमृता प्रभात ने बताया कि भारत की कुल जनसंख्या का 3.4 प्रतिशत भाग थैलेसीमिया ग्रस्त है। कार्यक्रम में मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ योगिता सिंह ने बताया कि थैलेसीमिया को मुख्य 2 वर्गों में बांटा गया है। डॉ धीरज बालियान ने थैलेसिमिया के लक्षणों के बारे में जानकारी दी। प्राचार्य डॉ.आर.सी.गुप्ता ने थैलेसीमिया से बचाव एवं सावधानी विषय पर विस्तृत जानकारी दी। बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अनुपमा वर्मा, डॉ अभिषेक, डॉ प्रीति सिन्हा डॉ आभा गुप्ता, डॉ अरविंद कुमार, डॉ संध्या गौतम, व अन्य सीनियर व जूनियर रेसिडेंट, विद्यार्थीगण उपस्थित रहे। मेडिकल कॉलेज मेरठ के प्राचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने मेडिसिन विभाग व बाल रोग विभाग को ज्ञानवर्धक सी एम ई हेतु शुभकामनाएँ दी।