
मेरठ हीरा टाइम्स ब्यूरो। पंडित दीन दयाल उपाध्याय शोधपीठ, राजनीति विज्ञान विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ व भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “वैश्विक शांति एवं एकात्म मानवदर्शन समकालीन परिप्रेक्ष्य” के द्वितीय दिवस में के सत्रों का आयोजन चाणक्य सभागार, राजनीति विज्ञान विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में किया। उदघाटन सत्र की औपचारिक शुरुआत अनुसुइया नैन, सहायक आचार्य केंद्रीय विश्वविद्यालय, केरल द्वारा अतिथि परिचय के साथ की गयी। उदघाटन सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर अनुपम शर्मा, आचार्य राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन विभाग, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, मध्य प्रदेश ने की। इस दौरान विशिष्ट वक्ता डॉ. अजय कुमार सिंह, सहायक आचार्य, केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू ने बताया कि पश्चिम के दर्शन के विपरीत भारत का दर्शन एकात्मता लिए हुए है। इसी के अनुरूप पंडित दीन दयाल उपाध्याय का एकात्म मानवदर्शन स्वार्थ से परे वैश्विक शांति का प्रबल पक्षधर है। उन्होंने कहा कि भारत का चिंतन व ग्रन्थ हमेशा से वैश्विक शांति हेतु प्रयासरत रहे हैं। इसी क्रम में विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर असद रजा, करईकल कॉलेज पुडुचेरी ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के चिंतन की उचित व्याख्या की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि आंतरिक शांति से ही वैश्विक शांति स्थापित होगी । इसके पश्चात विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर जितेंद्र साहू, आचार्य राजनीति विज्ञान विभाग गौर बंगा विश्वविद्यालय मालदा, पश्चिम बंगाल ने बताया कि वर्तमान अस्थिर व युद्धरत वैश्विक स्थिति में विश्व शांति की परिकल्पना भारतीय तत्वों व चिंतन के माध्यम से ही संभव है। इसके उपरांत बीज वक्ता प्रोफेसर जनक सिंह मीणा, आचार्य, गांधी विचार एवं शांति अध्ययन विभाग केंद्रीय विश्वविद्यालय, गुजरात ने संगोष्ठी के विषय को सामयिक रूप से अनुकूल बताया और कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की भारतीय अवधारणा सिर्फ भारतीय शांति हेतु नहीं अपितु संपूर्ण विश्व की शांति हेतु परिकल्पित विचार है। दीन दयाल उपाध्याय जी का विचार भी इसी चिंतन का विस्तृतीकरण है। इसके पश्चात सत्र के सह अध्यक्ष प्रोफेसर सुनील महावर, आचार्य, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी, बिहार ने बताया कि पंडित जी के विचार गांधी जी के विचारों से साम्यता लिए हुए हैं उन्होंने बताया कि पश्चिम के विपरीत भारतीय चिंतन आत्मिक विकास पर बल देता है एवं इसी से ही संपूर्ण विकास व वैश्विक शांति स्थापित हो सकेगी। सत्र के अध्यक्षीय उद्वोधन में प्रोफेसर अनुपम शर्मा, आचार्य राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन विभाग, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर मध्य प्रदेश ने स्वयं को इसी विभाग की छात्रा होने के पलों को याद करते हुए सुखद व गौरवान्वित अनुभव किया एवं बताया कि आज भारत बुद्ध, गांधी व दीन दयाल जी का देश है एवं उन्हीं की चिंतन धारा को आगे बढ़ाते हुए आज भारत अहं से वयं की धारणा को आगे बढ़ा रहा है। तत्पश्चात डॉ. भूपेंद्र प्रताप सिंह, सहायक आचार्य, राजनीति विज्ञान विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा सभा को अतिथियों का परिचय कराया गया एवं सुश्री इशिता पांडे जी, सहायक आचार्या, राजनीति विज्ञान विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा दो दिवसीय संगोष्ठी के छायाचित्रों को वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
इसके उपरांत कार्यक्रम को समापन की ओर ले जाते हुए प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा, माननीय पूर्व कुलपति महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार व संकाय अध्यक्ष कला एवं विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा कुलपति, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ का आयोजन अनुमति प्रदान करने के लिए तथा सभी अतिथियों द्वारा संगोष्ठी में प्रतिभाग हेतु एवं इस संगोष्ठी आयोजन हेतु कार्यरत समस्त शोधार्थी व छात्र छात्राओं को धन्यवाद किया। तत्पश्चात राष्ट्रगान के साथ इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। इस दौरान डा० जयवीर सिंह, डा० सुषमा रामपाल, डा० भूपेन्द्र प्रताप सिंह, डा०देवेन्द्र कुमार, डा० मुनेश कुमार, डा० रवि पोसवाल, सुश्री इशिता पांडे, पवन, गगन, रवीना, सचिन आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।