संभल एजेंसी। उत्तर प्रदेश के संभल में केला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी जामा मस्जिद को लेकर बस ये दावा ही नहीं करते, वो पूरे भरोसे के साथ कहते हैं कि ये हमारा मंदिर है और हमारा ही रहेगा। काशी और मथुरा के बाद अब संभल में जामा मस्जिद की जगह मंदिर होने का विवाद बढ़ गया है। इसे लेकर 19 अक्टूबर को संभल के सिविल कोर्ट में न सिर्फ याचिका दायर हुई, बल्कि उसी दिन पहला सर्वे भी कर लिया गया। 24 नवंबर को सुबह 6ः30 बजे टीम मस्जिद में दूसरा सर्वे करने पहुंची। तभी टीम पर पथराव हो गया। देखते ही देखते सैकड़ों की भीड़ मस्जिद के बाहर जमा हो गई। इसके बाद गलियों में जगह-जगह पथराव और आगजनी की घटनाएं हुईं। इस बवाल में अब तक चार मौतें हो चुकी हैं।
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मंदिर के दावे बेबुनियाद हैं। यहां मंदिर होने का कोई रिकॉर्ड तक नहीं है। इस विवाद को समझने के लिए दैनिक भास्कर ग्राउंड पर पहुंचा। हमने विवाद को समझा। साथ ही मंदिर के दावे पर दोनों पक्षों से बात की। साथ ही इसे लेकर कानूनी पक्ष भी समझा और गजेटियर की भी पड़ताल की। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के आज दूसरे दिन भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई। एसपी समेत 15 अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हैं।
संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के आज दूसरे दिन भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई। एसपी समेत 15 अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हैं। बाबरनामा में हरिहर मंदिर का जिक्र, गजेटियर में भी इसके सबूत
चंदौसी में ही हमारी मुलाकात हिंदू पक्ष के वकील श्रीगोपाल शर्मा से हुई। वो बताते हैं, श्जामा मस्जिद जो कि हरिहर मंदिर है, वो लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। कोर्ट ने यहां सिर्फ फोटो और वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया। ये सर्वे की एक प्रक्रिया है। बाबरनामा में हरिहर मंदिर का जिक्र है। आइन-ए-अकबरी किताब में भी हरिहर मंदिर का जिक्र है। इसके अलावा कुछ पत्रिकाओं और न्यूज आर्टिकल में मंदिर के बारे लिखा गया है। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने का दावा करते हुए श्रीगोपाल कहते हैं, 1529 में बाबर और उसके सेनापति ने इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी।श् हालांकि यहां पूजा-पाठ न होने की बात पर वो कहते हैं, श्शहर के लोग अभी मस्जिद में पूजा नहीं करते, लेकिन उनकी मान्यता इससे जुड़ी है। मस्जिद में कोई चीज या उसकी बनावट जो इसके मंदिर होने के दावे को पुख्ता करती हो? इसके जवाब में श्रीगोपाल कहते हैं, ‘मस्जिद के अंदर कोई ऐसी नक्काशी नहीं है, जिससे इसके मंदिर होने के प्रमाण मिल सकें। न ही कोई मूर्तियां ही मिली हैं। हां, लेकिन कुछ और अवशेष हैं, जिनका जिक्र यहां नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता महंत ऋषि राज गिरी महाराज शक संवत् 987 का एक नक्शा दिखा रहे हैं। दावा है कि नक्शे में शाही जामा मस्जिद वाली जगह पर श्री हरिहर मंदिर दिख रहा है। याचिकाकर्ता महंत ऋषि राज गिरी महाराज शक संवत् 987 का एक नक्शा दिखा रहे हैं। दावा है कि नक्शे में शाही जामा मस्जिद वाली जगह पर श्री हरिहर मंदिर दिख रहा है।
अब बात मुस्लिम पक्ष की
इसके बाद हमने मुस्लिम पक्ष के वकील जफर अली से बात की। जफर अली शाही जामा मस्जिद कमेटी के सदर (अध्यक्ष) भी हैं। वो सर्वे के दौरान टीम में शामिल थे। जफर कहते हैं, श्हिंदू पक्ष के पास कोई सबूत नहीं हैं, जिससे ये पता चलता हो कि जामा मस्जिद से पहले यहां कोई मंदिर हुआ करता था। उन्हें ये भी नहीं पता कि मंदिर को किस साल या सदी में बनवाया गया था। अगर मंदिर था तो उसका कहीं न कहीं रिकॉर्ड होता। हिंदू पक्ष के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है कि मंदिर किस साल में और किसने बनवाया था। ये इस बात का सबूत है कि वहां कभी मंदिर था ही नहीं। बाबरनामा और बाकी जिन किताबों में भी हिंदू पक्ष जिक्र होने की बात कर रहा है, उसे समझना कोर्ट का काम है। ये बात सच है कि संभल पृथ्वीराज चौहान की राजधानी रहा है, लेकिन ये सबूत नहीं है। इस मामले में मुकदमा दायर हो चुका है। हमारे पास पुख्ता सबूत मौजूद हैं। वे आगे कहते हैं, श्आजादी के बाद से इस तरह का कोई दावा कभी अदालत में पेश नहीं किया गया। आजादी से पहले 1877 और 1879 में जरूर कुछ वाद दायर किए गए थे। वो खारिज हुए और फैसला जामा मस्जिद के हक में रहा था। हमारे पास जजमेंट की कॉपी भी है।
जामा मस्जिद की जिम्मेदारी एएसआई की
संभल की जामा मस्जिद के संरक्षण का जिम्मा एएसआई के पास है। फिर इंतजामिया कमेटी का क्या रोल है? इसके जवाब में जफर अली कहते हैं, श्जामा मस्जिद की ये प्रॉपर्टी एएसआई के तहत आती है। ये 250 सीरियल नंबर पर दर्ज है। ये बहुत बाद की बात है। जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी तो 550 साल से यहां काम कर रही है। जब से मस्जिद अस्तित्व में आई है, तब से पब्लिक ये कमेटी बनाती आई है। इसका कोई रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है। बस इतना तय हो जाता है कि कौन व्यक्ति मेंटेनेंस देखेगा। यही परंपरा चली आ रही है। हमसे एएसआई ने ये कभी नहीं पूछा कि हम इसका मैनेजमेंट क्यों देख रहे हैं, बल्कि वो दीवारें, दरवाजे और खिड़की की मरम्मत कराने को कह जाते हैं। जफर बताते हैं, दो महीने पहले एएसआई की टीम मस्जिद आई थी। टीम के लोग अपना परिचय ठीक से नहीं दे सके। सेवकों ने कहा कि जफर अली इस मस्जिद के सदर (प्रधान) हैं। वही अधिवक्ता भी हैं। उनसे बात कर लें। टीम को मेरा नंबर भी दिया, लेकिन उन्होंने मुझसे कोई कॉन्टैक्ट नहीं किया, बल्कि वे डीएम और एसपी के पास पहुंच गए। टीम ने पुलिस की मदद ली। उन्होंने ही हमें इन्फॉर्म किया। हम उनके साथ सर्वे कराने अंदर गए, लेकिन हमें किसी तरह की कभी कोई रिपोर्ट नहीं दी। जफर अपनी बात खत्म करते हुए कहते हैं, श्जामा मस्जिद पर हरिहर मंदिर होने का दावा बहुत पुराना है, लेकिन इसे कभी किसी ने साबित नहीं किया। किसी ने ये अफवाह उड़ाई और लोगों ने इसे सच्चाई मान लिया।
अब बात सरकारी वकील की३
29 नवंबर को अपना जवाब पेश करेंगे, सर्वे रिपोर्ट भी जमा होगी
इस मामले में हमने सरकार और ।ैप् की ओर से पेश हो रहे वकील विष्णु शर्मा से बात की। वो चंदौसी जिला कोर्ट में बैठते हैं। विष्णु बताते हैं, श्19 नवंबर को मंदिर के दावे को लेकर एक याचिका दायर हुई। इसमें यूनियन ऑफ इंडिया, संस्कृति मंत्रालय, ।ैप् के महानिदेशक, ।ैप् ( मेरठ सर्किल) के अधीक्षक, राज्य सरकार और जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी को पार्टी बनाया गया।श्
श्मैं भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय और ।ैप् को रिप्रेजेंट कर रहा हूं। ये सभी केंद्र के अंदर आते हैं। मुझे नोटिस मिला तो मैं भी अदालत में पहुंचा। जब मुकदमा शुरू हुआ, तब राज्य और केंद्र सरकार, जो इस मामले में पार्टी हैं, उन्हें धारा 80 का नोटिस जारी किया गया। मैंने ।ैप् के अधिकारियों को सूचना दे दी है। हमें 29 नवंबर को अपना जवाब पेश करना है। वहीं अधिवक्ता कमिश्नर रमेश चंद राघव सर्वे रिपोर्ट जमा करवाएंगे।श्
जल्दबाजी में सर्वे कराने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस पर विष्णु कहते हैं, श्ये मुकदमा सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत आता है। इसमें सभी पार्टियों को नोटिस जारी होता है। अधिवक्ता कमिश्नर या अमीन कमिश्नर की एप्लिकेशन पर उसी दिन कार्रवाई होती है। उसी दिन ऑर्डर निकलता है। इसीलिए उसी दिन सर्वे हो सकता है। यही कानूनी प्रक्रिया है।श्
वे आगे बताते हैं, श्इससे पहले कोर्ट के आदेश से कोई सर्वे नहीं हुआ है। अगर किसी जगह का मैनेजमेंट ।ैप् के अंडर है, तो उसके संरक्षण का जिम्मा भी ।ैप् का ही होता है। ।ैप् ने ही डीएम को लेटर लिखा था कि उन्हें सर्वे नहीं करने दिया जा रहा।श्
हंगामे और विवाद से बचने के लिए प्रशासन ने तुरंत सर्वे कराया
मंदिर और मस्जिद के दावों के बीच हमने लोकल लोगों से भी बात करने की कोशिश की। हालांकि कैमरे पर आने से हिचकिचाते हुए एक शख्स ने हमें पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, श्उस दिन (19 नवंबर) प्रशासन पर बहुत प्रेशर था। हिन्दू पक्ष के वकील और महंत ऋषिराज गिरी उसी दिन सर्वे के लिए दबाव बना रहे थे।श्
श्सर्वे के लिए महंत जी को मस्जिद में जाने भी नहीं दिया गया था। वे लोग (हिंदू पक्ष) इसी मूड से आए थे कि सर्वे कराना है, वर्ना वे हंगामा करते। किसी भी हंगामे से बचने के लिए प्रशासन ने तुरंत सर्वे करवाया। इससे पहले मस्जिद के पास कुएं और घरों को लेकर भी विवाद हुआ था।श्
गजेटियर में मंदिर का जिक्र, लेकिन कहां होगा ये नहीं लिखा
मंदिर के दावों को लेकर हमने ऑफिशियल डॉक्यूमेंट भी खंगाले। हमारे पास 1908 और 1911 का गैजेट है। दोनों में ही एक जैसी बातें लिखी हैं। इससे पता चलता है कि मस्जिद और मंदिर को लेकर ये विवाद बहुत पुराना है।
इस डॉक्यूमेंट में लिखा है कि संभल में भगवान विष्णु का मंदिर है, लेकिन ये कौन सी जगह रहा होगा, इसका जिक्र कहीं नहीं किया गया है। हालांकि इस मंदिर के पास एक मस्जिद होने की बात लिखी गई है।
इतिहासकार थॉमस कार्ले ने 1874 में इस मस्जिद का दौरा किया था। उनके मुताबिक, मस्जिद का गुंबद स्टोन से बना है। ऐसा लगता है कि इसे हिंदू नक्काशकारों ने बनाया है। जबकि इसमें मुसलमानों की बनाईं ईंटों का भी इस्तेमाल हुआ है।
उस दौर में भी हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच इसे लेकर कानूनी लड़ाई चल रही थी। सिविल कोर्ट में फैसला मुस्लिम पक्ष के हक में सुनाया गया। कोर्ट का मानना था कि मस्जिद में लिखा है कि बाबर ने 1526 में मस्जिद बनाने का आदेश दिया था।
इसी का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष ने याचिका दायर की थी। हालांकि संभल में बनी मस्जिद बाबर के समय से पहले की बनी लगती है। इसका आर्किटेक्चर बदायूं की मस्जिद और जौनपुर जैसी पठान इमारतों से मिलता-जुलता है। इसे बनाने में हिंदू नक्काशकार रहे होंगे।
डॉक्यूमेंट में संभल में भगवान विष्णु का हरी मंदिर होने का जिक्र है, लेकिन ये कौन सी जगह रहा होगा,इसका कहीं भी जिक्र नहीं है।
डॉक्यूमेंट में संभल में भगवान विष्णु का हरी मंदिर होने का जिक्र है, लेकिन ये कौन सी जगह रहा होगा,इसका कहीं भी जिक्र नहीं है।
ब्रिटिश आर्कियोलॉजिस्ट जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम ने लिखा है, श्संभल की जामा मस्जिद इब्राहिम लोदी (1517दृ1526) के शासनकाल में बनवाई गई थी। उन्होंने ये भी देखा कि मस्जिद के निर्माण में हिंदू या जैन मंदिरों के स्तंभों का इस्तेमाल किया गया था। ये उस समय की एक सामान्य प्रथा थी।श्
श्तब पुराने धार्मिक स्थलों के सामान नई इमारतों को बनाने में इस्तेमाल किए जाते थे। अगर हिन्दू मंदिर का सामान इस्तेमाल किया भी गया है तो अब वो छिप गया है। ये साफ नहीं है कि बाबर ने मस्जिद का निर्माण किया या मरम्मत कराई। आइन-ए-अकबरी ने संभल में विष्णु भगवान के मंदिर का जिक्र है। लेकिन ये जरूरी नहीं है कि इसे ही हरि मंदिर मान लिया जाए।श्
जामा मस्जिद में सेकेंड सर्वे के दौरान हिंसा, 4 की मौत
संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई। हिंसा में सीओ अनुज चौधरी और एसपी के च्त्व् के पैर में गोली लगी है। एसपी समेत 15 अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। मृतकों के परिजन का दावा है कि पुलिस की गोली से मौत हुई है।
संभल में मस्जिद के पास गली में जगह-जगह पत्थर बिखरे दिखे। पुलिस लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रही है। उपद्रवियों की पहचान की जा रही है।
संभल में मस्जिद के पास गली में जगह-जगह पत्थर बिखरे दिखे। पुलिस लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रही है। उपद्रवियों की पहचान की जा रही है।
कमिश्नर ने कहा, श्पुलिस फायरिंग में कोई मौत नहीं हुई है। हमलावरों की फायरिंग में तीन युवकों की जान गई है। हमलावर प्लान्ड तरीके से सर्वे टीम को टारगेट करना चाहते थे। 12-14 साल के बच्चों और महिलाओं को आगे किया गया।श् पूरे शहर में अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल है। जामा मस्जिद जाने वाले सभी तीन रास्तों पर बैरिकेडिंग कर दी गई है।