मेरठ हीरा टाइम्स ब्यूरो। मेरठ में पहली बार इतनी ज्यादा संख्या में ज्योतिष आचार्यों का समागम कोई छोटी बात नहीं है। मेरठ में अवश्य ही कुछ बड़ा होने जा रहा है। मुझे यहां आने से पहले तक नहीं पता था कि सम्मेलन में इतनी अधिक संख्या में ज्योतिष के प्रकांड विद्वानों से मिलने का अवसर मिलेगा वरना मैं अपनी कुंडली भी ले कर आता। आईआईएमटी विश्वविद्यालय में ज्योतिषीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि और हरिद्वार के निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर गुरुदेव कैलाशानंद जी ने ये विचार रखते हुए कहा कि ज्योतिष कुछ और नहीं बल्कि फलादेश और गणित की सटीक गणना के बाद भविष्य को जानना और संवारना है। आईआईएमटी विश्वविद्यालय के मुख्य सभागार में आईआईएमटी और अखिल भारतीय ज्योतिष महासंघ, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ज्योतिष महासम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि और हरिद्वार के निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर गुरुदेव कैलाशानंद जी का आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगेश मोहन गुप्ता, प्रति कुलाधिपति डॉ मयंक अग्रवाल ने भव्य स्वागत किया। कार्यक्रम में देश के लगभग सभी राज्यों से आये ख्यातिप्राप्त ज्योतिष विज्ञानी और ज्योतिषाचार्यों ने हिस्सा लिया। वेदों के मंत्रोच्चार और शांति पाठ के साथ ज्योतिष महासम्मेलन का शुभारंभ किया गया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगेश मोहनजी गुप्ता ने सभी ज्योतिषाचार्यों का स्वागत किया। सभी ज्योतिषाचार्यों का निजी तौर पर परिचय कराते हुए उन्होंने ज्योतिष को लेकर अपने अनुभव भी मंच से साझा किए। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में लाखों ज्योतिषाचार्य हैं जिनमें से कुछ गुरु से तो कुछ पीढ़ियों से ज्योतिष विद्या सीख कर इस विज्ञान को बचाए हुए हैं। मगर भारत के इस बेहद पारंपरिक ज्ञान को अब संरक्षण और अनुसंधान की आवश्यकता है। इसी ओर पहल करते हुए आईआईएमटी विश्वविद्यालय में ज्योतिष का पाठ्यक्रम शुरु किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आज के ज्योतिष महाकुंभ के बाद आईआईएमटी विश्वविद्यालय में आगामी शैक्षणिक सत्र में ज्योतिषीय उपाधियां भी प्रदान की जाएंगी। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजर्स सोसायटी दिल्ली के अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार बंसल ने देश भर से आए ज्योतिषाचार्यों का परिचय कराते हुए स्वागत किया। मुख्य अतिथि और हरिद्वार के निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर गुरुदेव कैलाशानंद जी ने गृहस्थ आश्रम को सबसे कठिन व्रत बताते हुए कहा कि गृहस्थी के व्रत को पालन करने के लिए सबसे ज्यादा साधना का आवश्यकता होती है और इसी के ऊपर समाज टिका होता है। उन्होंने बेहद रोचक ढंग से भगवान श्री कृष्ण और बलराम के नामकरण के समय गर्गाचार्य की कथा सुनाते हुए श्रोताओं को बांध कर रख दिया। वहीं यज्ञ की अग्नि के आधार पर फलादेश की गणना को भी समझाया। इस मौके पर उन्होंने राजा बलि और बामन अवतार की कथा के जरिए मंत्र और संकल्प शक्ति को समझाया। महासम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिषाचार्यों में पंडित जय प्रकाश, पंडित जीडी वशिष्ठ, कैप्टन लेखराज, पंडित सुरेश श्रीमाली, पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी, पंडित सुभेश शरमन, पंडित दिनेश गुरुजी, अनिल जैन, डॉ. प्रमोद सिन्हा, गोपाल राजू, अक्षय, पंडित राजीव शर्मा और सुखविंदर आदि को मंच से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर आईआईएमटी विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ दीपा शर्मा, प्रति कुलपति डॉ वैभव श्रीवास्तव, कुलसचिव डॉ0 वी.पी. राकेश, निदेशक प्रशासन डॉ संदीप कुमार, अमित बंसल डीन एक्टिविटी डॉ लखविंदर सिंह, डीएसडब्लू डॉ नीरज शर्मा, मीडिया प्रभारी सुनील शर्मा सहित सभी संकाय अध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक मौजूद रहे।