सरधना। कालंद चुंगी स्थित सेंट जेवियर्स वर्ल्ड स्कूल में पहली बार फेंसिंग जैसे ऐतिहासिक खेल को बढ़ावा देने के लिए 2 दिवसीय कैंप का आयोजन किया गया। इस खेल की जानकारी देने के लिए विद्यालय में कोच श्री पवन शर्मा व उनके ट्रेनर अक्षय प्रताप और जीतू उपस्थित रहे । उन्होंने बच्चों को फेंसिंग से संबंधित जानकारी देते हुए कहा कि इस खेल से वे लोग अपनी नई पहचान बना सकते हैं । इन तलवारों से लड़ी जाने वाली लड़ाई के सबूत 1190 ईसा पूर्व में प्राचीन मिस्त्र से मिलते हैं, जहां 18 वीं शताब्दी तक युद्ध और लड़ाई का सिलसिला चलता रहा। तलवारबाजी मूल रूप से सैन्य ट्रेनिंग का एक हिस्सा थी और 14 वीं या 15 वीं शताब्दी में जर्मनी और इटली दोनों ही देशों में एक खेल के रूप में विकसित होना शुरू हुआ। टीम प्रतियोगिता में, एक टीम का प्रत्येक सदस्य दूसरी टीम के प्रत्येक सदस्य का एक बार सामना करता है। प्रत्येक मुकाबला तीन मिनट लंबा या 5 अंक का होता है, जिसमें हर मुकाबले का स्कोर अगले मुकाबले में जुड़ता जाता है।
फेंसिंग तीन अलग-अलग प्रकार की होती है। फॉयल, एपी और साबरेस भवानी देवी, जो तीन साल पहले टोक्यो 2020 ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली भारतीय तलवारबाज बनीं।उन्होंने क्वार्टर फाइनल में सिंगापुर की जूलियट मिन हेंग को 15-8 से हराया, लेकिन सेमीफाइनल में हांगकांग चीन की चू विंग किउ से 15-12 से हार गईं।
विद्यालय के डायरेक्टर प्रीतिश कुमार सिंह, प्रबंधक शाल्विक जैन और शिवानी जैन ,प्रधानाचार्या अल्का शर्मा और खेल सचिव अरविंद शेरवालिया ने कहा सभी बच्चों को खेल की विशेषताएं बताते हुए कहा कि उन्हें भी इस खेल को सीखना चाहिए।