’मेरठ। शोभित इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (शोभित विश्वविद्यालय), मेरठ और आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन कैटल मेरठ के बीच एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस सहयोग का मुख्य उद्देश्य गोवंश अनुसंधान और उन्नत प्रशिक्षण में नवाचार को प्रोत्साहित करना और नई तकनीकों को साझा करना है, जिससे दोनों संस्थान लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर शोभित विश्वविद्यालय के कुलपति, ’प्रोफेसर विनोद कुमार त्यागी’ ने कहा, “यह समझौता दोनों संस्थानों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। इससे हमारे विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को वैश्विक मानकों पर आधारित उन्नत अनुसंधान के अवसर प्राप्त होंगे। यह साझेदारी हमारे विश्वविद्यालय के अनुसंधान और नवाचार को एक नई दिशा देगी।” आईसीएआर-सीआईआरसी के निदेशक, ’डॉ. अशोक कुमार मोहंती’ ने इस महत्वपूर्ण सहयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “यह समझौता गोवंश अनुसंधान में नए आयाम खोलेगा। हम शोभित विश्वविद्यालय के साथ मिलकर इस क्षेत्र में उच्च स्तरीय अनुसंधान को और गति देंगे, जिससे वैज्ञानिक और शैक्षिक सहयोग को नई ऊँचाइयाँ मिलेंगी।”शोभित विश्वविद्यालय के उपकुलपति, ’प्रोफेसर जयानंद’ ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “यह समझौता ज्ञान और तकनीकी नवाचार के आदान-प्रदान के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा। इससे हमारे विद्यार्थियों को प्रायोगिक ज्ञान और अनुसंधान के लिए सशक्त अवसर मिलेंगे।” शोभित विश्वविद्यालय की जैविक विज्ञान संकाय की डीन, ’प्रोफेसर वाई विमला’ ने कहा, “यह समझौता हमारे विभाग के लिए एक नई शुरुआत है। इससे हम वैश्विक स्तर पर अनुसंधान और विकास को और अधिक सुदृढ़ कर पाएंगे। हम सीआईआरसी के साथ इस यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए उत्साहित हैं।” आईसीएआर-सीआईआरसी के प्रधान वैज्ञानिक और पीएमई सेल के प्रभारी, ’डॉ. राजीव रंजन कुमार’ ने इस सहयोग के भविष्य में आने वाले सकारात्मक परिणामों पर बल देते हुए कहा, “यह साझेदारी न केवल अनुसंधान को नई दिशा देगी, बल्कि इससे हमारे दोनों संस्थानों के बीच वैज्ञानिक आदान-प्रदान और सुदृढ़ होगा। आईसीएआर-सीआईआरसी के वैज्ञानिक और आईटीएमयू प्रभारी, ’डॉ. सुशील महाजन’ ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए कहा, “यह समझौता हमें अनुसंधान और तकनीकी विकास में नई संभावनाएँ प्रदान करेगा। हम आशा करते हैं कि यह सहयोग दोनों संस्थानों के लिए अत्यधिक फायदेमंद साबित होगा।” इस समझौते से दोनों संस्थानों के बीच न केवल तकनीकी और वैज्ञानिक अनुसंधान में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में भी एक नए युग की शुरुआत होगी।