चेन्नई एजेंसी। तमिलनाडु नॉर्थ नहीं है।’ तमिलनाडु में लोगों से बातचीत के दौरान ये बार-बार सुनने को मिलता है। जैसे ही बीजेपी या नरेंद्र मोदी का जिक्र आता है, चेन्नई के चौटपैट इलाके में सब्जी बेचने वाले सुकांत बोल पड़ते हैं जीएसटी ने सब महंगा कर दिया। मोदी सरकार तमिलनाडु को फंड नहीं देती। बाढ़ आई तो भी पीएम नहीं आए।
हालांकि, चेन्नई में ही रहने वाली भाग्यलक्ष्मी कहती हैं, सिलेंडर मिला, मुद्रा लोन भी मिला। सबको देख लिया, एक मौका मोदी जी को भी देना है। डीएमके-कांग्रेस अलायंस सबसे मजबूत नजर आ रहा है। उसे 39 में से 32-37 सीटें मिलने के आसार हैं। हालांकि, करप्शन जैसे मुद्दों के खिलाफ लोगों में गुस्सा है, लेकिन कोई और मजबूत ऑप्शन नहीं है, जिसे वोट दे सकें। डीएमके अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है। पार्टी का पूरा फोकस राज्य की दूसरे नंबर की पार्टी बने रहने पर है। डीएमके के साथ उसका गठबंधन है। इस अलायंस को 3-0 सीटें मिलने के आसार हैं। बीजेपी के पास तमिलनाडु में खोने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए उसने पूरी ताकत झोंक दी है।
नए पार्टी प्रेसिडेंट अन्नामलाई युवाओं के बीच पॉपुलर हैं। बीजेपी का वोट पर्सेंट 3 से बढ़कर 15 होने के आसार हैं, हालांकि सीट 2-0 आ सकती हैं। अगर डीएमके और बीजेपी गठबंधन में चुनाव लड़ते तो 12-15 सीटें जीत सकते थे।