
मेरठ। शताब्दी नगर में अग्रसेन सेवा ट्रस्ट द्वारा भव्य मंदिर शिलान्यास समारोह का आयोजन किया गया। अध्यक्षता ट्रस्ट के अध्यक्ष ज्ञानेन्दर अग्रवाल ने की, मंच संचालन महामंत्री गिरीश बंसल ने किया। अध्यक्ष अश्वनी गुप्ता ने सभी का स्वागत किया। मुख्य यजमान अरुण अग्रवाल ने अपनी पत्नी के साथ पूजन किया। इस पवित्र अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री एवं सांसद राधामोहन दास ने प्रातः 8रू00 बजे मंदिर के उद्घाटन के साथ इस दिव्य कार्य का शुभारंभ किया। इसके पश्चात विधिवत शिलान्यास संपन्न हुआ, जिसमें समाज के गणमान्य व्यक्तियों, धार्मिक नेताओं और हजारों सनातनी श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सांसद ने कहा कि मंदिर केवल पूजा का स्थल नहीं, बल्कि समाज कल्याण का केंद्र भी होता है।
इसी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए अग्रसेन सेवा ट्रस्ट द्वारा मंदिर के साथ-साथ एक आधुनिक अस्पताल के निर्माण की भी योजना बनाई गई है, जिससे जरूरतमंदों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं मिल सकेंगी। उन्होंने इस पुनीत कार्य को समाज सेवा, श्रद्धा और सामाजिक उत्थान का अद्भुत संगम बताया। भव्य समारोह में कौशल विकास राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहें। कार्यक्रम में मंदिर की वास्तुकला, धार्मिक और सामाजिक महत्व को विस्तार से दर्शाने के लिए एक विशेष डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया गया। विशाल एलईडी स्क्रीन पर प्रदर्शित इस फिल्म में मंदिर की भव्यता, निर्माण प्रक्रिया और उसकी विशेषताओं को सुंदरता से दर्शाया गया। प्रस्तुति के पश्चात, सभी गणमान्य व्यक्तियों और समाज के लोगों ने अग्रसेन सेवा ट्रस्ट के सदस्यों के प्रयासों की प्रशंसा की गई। कार्यक्रम के संयोजक एवं भारतीय जनता पार्टी व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक विनीत अग्रवाल शारदा ने मंच से मेरठ का नाम बदलकर ‘अग्रसेन नगर’ करने की माँग रखी। उन्होंने कहा कि मेरठ का व्यापारिक, सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान अग्रवाल समाज से गहराई से जुड़ा हुआ है। इस प्रस्ताव का राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने समर्थन किया और आश्वासन दिया कि वे इसे विधानसभा में उठाएँगे। इसके अलावा विनीत अग्रवाल शारदा ने सपा के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक अबू आजमी द्वारा औरंगजेब के शासन की प्रशंसा करने पर कड़ा विरोध व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि औरंगजेब का शासन हिंदुओं पर अत्याचार और सनातन संस्कृति के दमन के लिए जाना जाता है। ऐसे शासक की प्रशंसा करना न केवल अनुचित, बल्कि समाज में गलत संदेश देने के समान है।