मेरठ निज संवादाता। दिवाली का त्योहार देश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़ों तक हर कोई साल भर इस पर्व का बेसब्री से इंतजार करता है। लेकिन ध्यान रहे कि इस बार दिवाली पर घर में खुशियां लेकर आएं, बीमारियां नहीं। वैसे तो दिवाली रोशनी का त्योहार है, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह रोशनी कम और पटाखों का त्योहार ज्यादा बन गया है। आजकल दिवाली का जश्न पटाखों के बिना अधूरा माना जाता है। पटाखे कुछ पलों के लिए तो पूरे आसमान को रोशन कर देते हैं, लेकिन ये हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। पटाखे जलाने का एक नुकसान यह भी है कि ये हवा में धूल और प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों की मात्रा बढ़ा देते हैं। पटाखे जलाने के बाद सल्फर, जिंक, कॉपर और सोडियम जैसे खतरनाक केमिकल्स हवा में फैल जाते हैं और सांस के जरिए हमारे फेफड़ों में चले जाते हैं। ये केमिकल्स पर्यावरण के साथ-साथ स्वास्थ्य को भी गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। पटाखों से होने वाली दुर्घटनाओं की बात करें तो अग्निशमन विभाग के मुताबिक, साल 2023 में अकेले दिल्ली में 200 से अधिक आग लगने की घटनाएं हुई थीं, जबकि कई लोग बुरी तरह घायल भी हुए थे। पटाखों में होते हैं खतरनाक केमिकल्स: सबसे पहले नीचे ग्राफिक में देखिए कि पटाखे बनाने में किन खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल होता है। पटाखे हमारी सेहत को कैसे प्रभावित करते हैं? पटाखों के जलने से सांस संबंधी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। यह कई संक्रामक बीमारियों का कारण भी बन सकता है। पहले से बीमार व्यक्ति की हालत और भी खराब हो सकती है। पटाखों का जहरीला धुआं अचानक एक नई बीमारी का कारण भी बन सकता है।
पटाखों से फैलता प्रदूषण और बीमारियों का खतरा: हमने ऊपर पटाखों में इस्तेमाल होने वाले जिन केमिकल्स के बारे में पढ़ा, वो ह्यूमन कंजम्प्शन के लिए नहीं हैं। मनुष्य का शरीर उन्हें इनहेल करने के लिए नहीं बना। यह समझने के लिए रॉकेट साइंटिस्ट होना जरूरी नहीं है कि अगर किसी भी कारण से ये केमिकल हवा और सांस के जरिए हमारे शरीर के भीतर जाएंगे तो शरीर में टॉक्सिन्स की मात्रा बढ़ेगी और ये टॉक्सिन बीमारियों का कारण बनेेंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (ॅभ्व्) की रिपोर्ट कहती है कि पूरी दुनिया में हर साल तकरीबन 70 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में वर्ष 2018 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, पटाखों का सबसे बुरा असर एयर क्वालिटी पर पड़ता है और उसका असर हमारे फेफड़ों व स्वास्थ्य पर पड़ता है। नीचे दिए गए ग्राफिक में देखें कि पटाखों के खतरनाक केमिकल्स से किन बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है। महालक्ष्मी योग में मनेगी दिवालीरू31 को पूजा के 6 मुहूर्त, जानिए लक्ष्मी पूजन की सामग्री, कुबेर और तिजोरी की पूजा विधि 4 घंटे पहले 31 अक्टूबर को अमावस्या शाम 4 बजे के बाद शुरू होगी और 1 नवंबर को शाम तक रहेगी। इस कारण देश में ज्यादातर जगह 31 अक्टूबर को दीपावली मनेगी। इस दिन कई ऐसे योग भी बन रहे हैं, जो लक्ष्मी पूजन से लेकर नए कामों की शुरुआत के लिए शुभ रहेंगे। पंडितों का मानना है कि दीपावली पर शाम को समृद्धि देने वाले 4 राजयोग बनेंगे। शश, कुलदीपक, शंख और लक्ष्मी योग बनने से इस महापर्व का शुभ फल और बढ़ जाएगा।