मेरठ। नगर निगम का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। पूर्व नगरायुक्त संजय कृष्णा ने स्टाफ के स्वजन और रिस्तेदारों की संविदा पर नियुक्त कर दी। विकास के लिए आई रकम से वेतन का भुगतान कर दिया गया। इसके अलावा 23 दुकानों को सिकमी किराएदार रूप में रखकर बदलाव करने के बाद कर लिया गया। साथ ही घंटाघर स्थित होटल अलकरीम के स्वामी दो भाइयों द्वारा कोर्ट के ध्वस्तीकरण के आदेश के बाद 40 प्रतिशत बच्चे हिस्से पर होटल संचालित किया जा रहा है। एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि आगरा सीबीसीआइडी ने जांच के बाद देहलीगेट थाने में चार मुकदमे दर्ज कराए हैं
उक्त सभी मुकदमों की विवेचना सीबीसीआईडी की लखनउ यूनिट को भेज दी है। आठ सितंबर 2010 को नगर आयुक्त डीके सिंह ने प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग को रिपोर्ट देकर बताया था कि पूर्व नगरायुक्त संजय महमूद अली, नौशाद अहमद, नकुल बत्स हरवीर सिंह, शाकिब खान, राजेंद्र कोरी की बिना चयन समिति बनाए और बिना विज्ञापन निकाले सविदा पर नियुक्ति कर दी थी। ये सभी लोग पूर्व कर्मचारियों के बेटे और रिश्तेदार हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि संजय कृष्ण के आशुलिपिक शर्मा के बेटे द्वितीय आशुलिपिक मेहराज के परिवार से महमूद अली भी इसमें शामिल थे, जबकि शासन ने ऐसी कोई नियमावली नहीं बनाई है। इसके बाद ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र के माधवपुरम निवासी बीके गुप्ता ने भी इस मामले में शिकायत की।
इस शिकायत पर अनुसचिव गृह मानवाधिकार शरद सक्सेना ने 27 जनवरी 2022 को सीबीसीआईडी को इस मामले में जांच करने के आदेश दिए थे। जांच में पाया गया कि 28 कर्मचारियों को दैनिक वेतन वर्कचार्ज पर रखा गया है। उनकी संविदा पर नियुक्त पूरी तरह से अवैध पाई गई। 28 कर्मचारियों जावेद, अमरदेव, महमूद अली, मनोज कुमार गौड़ा सुनील शर्मा, सुनील दत्त शर्मा, राजकुमार, संदेश, मनोज कुमार, संजय, शम्स आरिफ, सतीश कुमार, राजेश कुमार, नौशाद अहमद, नकुल वत्स, हरवीर सिंह, शाकिब खान आदि की नियुक्त पूरी तरह से अवैध पाई गई। वहीं, दूसरे मदों से इनके वेतन का भुगतान करने वाले संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी सीबीसीआइडी ने अलग से एक मुकदमा दर्ज कराया है।