
सहारनपुर हीरा टाइम्स ब्यूरो। निजीकरण के विरोध में आज विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति एवं राज्य विद्युत परिषद जूनियर्स इंजीनियर्स संगठन के बैनर तले कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। विद्युत कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि आंकड़ों का फर्जीवाड़ा कर बढ़ा-चढ़ा कर घाटा दिखाया जा रहा है और आम उपभोक्ताओं पर इसका बोझ डालना चाहते हैं, जबकि इसके पीछे मुख्य मकसद निजी घरानों की मदद करना है। आज विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति एवं राज्य विद्युत परिषद जूनियर्स इंजीनियर्स संगठन के बैनर तले कई कर्मचारी निजीकरण के विरोध में बिजली घर पर एकत्र हुए और अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि जब किसी प्रांत में पावर कारपोरेशन ने अपने एआरआर को चार दिन के अंदर पुनरीक्षित कर घाटा बढ़ा-चढ़ा कर नई एआरआर दाखिल की है। यह सब निजीकरण से पहले निजी घरानों की मदद करने के लिए किया जा रहा है। आगरा में भी निजीकरण के पहले एटी एंड सी हानियां 54 प्रतिशत बताई गई थी, जो वास्तव में 40 प्रतिशत के नीचे थी। इसका दुष्परिणाम यह है कि आज भी आगरा में पावर कॉरपोरेशन 5.55 रु प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर निजी कंपनी को 04. 36 रु प्रति यूनिट में दे रही है और 274 करोड रुपए का सालाना नुकसान उठा रही है। वक्ताओं ने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन यह भी सार्वजनिक करें कि निजीकरण के बाद सरकार सब्सिडी देगी या नहीं देगी। क्योंकि उनके द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में बार-बार सब्सिडी का उल्लेख किया गया है।