
नई दिल्ली/मेरठ। नेताजी सुभाष बोस भारतीय राष्ट्रीय सेना ट्रस्ट द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 129वीं जयंती के अवसर पर मोइरंग दिवस को श्रद्धापूर्वक एवं गरिमापूर्ण ढंग से नई दिल्ली के एफआईसीसीआई भवन में मनाया गया। मोइरंग दिवस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक गौरवशाली अध्याय है 14 अप्रैल 1944 को आजाद हिंद फौज के कर्नल शौकत मलिक ने मणिपुर के मोइरंग में भारतीय तिरंगा फहराया था। यह वह ऐतिहासिक क्षण था जब नेताजी द्वारा स्थापित आजाद हिंद सरकार ने पहली बार स्वतंत्र भारतीय भूभाग पर शासन का अधिकार स्थापित किया था। यह न केवल विजय का प्रतीक था, बल्कि यह घोषणा थी कि भारत अपनी संप्रभुता पुनः प्राप्त करने के लिए सक्षम और संकल्पित है। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में टोकन साहू, राज्य मंत्री, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार (मुख्य अतिथि) रविंद्र इंद्राज सिंह, कैबिनेट मंत्री, दिल्ली सरकार (सामाजिक कल्याण, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण एवं सहकारी चुनाव) तथा कुंवर शेखर विजेंद्र, कुलाधिपति, शोभित विश्वविद्यालय एवं चेयरमैन, एसोचौम राष्ट्रीय शिक्षा परिषद की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम में भारतीय राष्ट्रीय सेना ट्रस्ट के प्रमुख पदाधिकारी ब्रिगेडियर आर.एस. छिकारा (अध्यक्ष), दिनेश सिंह एवं डॉ. निधि कुमार (न्यासीगण), तथा मंदीप मुखर्जी (रणनीतिक सलाहकार) की भी सहभागिता रही। सुप्रसिद्ध नृत्यांगना और राज्यसभा सदस्य सुश्री सोनल मान सिंह सांस्कृतिक संरक्षक के रूप में प्रतीकात्मक रूप से कार्यक्रम से जुड़ी रहीं। समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन और “वंदे मातरम” की सजीव प्रस्तुति के साथ हुई, जिसने देशभक्ति और श्रद्धा का भाव जगाया। श्री रविंद्र इंद्राज सिंह द्वारा दिए गए 19वें भारतीय राष्ट्रीय सेना ट्रस्ट स्मृति व्याख्यान में उन्होंने कहा कि नेताजी की संघर्षगाथा केवल राजनीतिक स्वतंत्रता की नहीं थी, बल्कि सामाजिक न्याय और आत्मसम्मान की भी थी। उन्होंने कहा, “मोइरंग केवल सैन्य विजय नहीं था वह नैतिक घोषणा थी कि भारतवासी स्वयं शासन करने में सक्षम हैं। आज हमारी समावेशी नीतियाँ उसी चेतना को जीवित रखने का प्रयास हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार का सामाजिक कल्याण विभाग नेताजी की समावेशी और न्यायसंगत भारत की परिकल्पना से प्रेरित होकर कार्य कर रहा है। मुख्य अतिथि टोकन साहू ने अपने उद्बोधन में नेताजी की रणनीतिक दृष्टि और अनुशासन की प्रशंसा करते हुए कहा, “नेताजी का भारत केवल आजाद नहीं, आत्मनिर्भर और सशक्त होना चाहिए। हमारी शहरी विकास योजनाएं चाहे वह स्मार्ट शहर हों या किफायती आवासकृउसी आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम हैं जिसे नेताजी ने देखा था।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “नेताजी को केवल इतिहास की पुस्तकों में सीमित न रखें बल्कि उनके विचारों को हमारी नीतियों और नागरिक चेतना में आत्मसात करें।” कुंवर शेखर विजेंद्र ने अपने मुख्य भाषण में मोइरंग को एक “नागरिक पुनर्जागरण का क्षण” बताया। उन्होंने कहा, “मोइरंग केवल एक रणभूमि नहीं थीकृवह भारत की आत्मा का उद्घोष था। नेताजी ने स्वतंत्रता को अनुग्रह नहीं, बल्कि धर्म और जन्मसिद्ध अधिकार के रूप में प्राप्त किया।” उन्होंने कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिसके द्वारा नेताजी की विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुँचाया जा सकता है। “हमें अपने युवाओं को यह सिखाना चाहिए कि स्वतंत्रता कोई उपहार नहीं थीकृवह तप, त्याग और रणनीति का परिणाम थी। देशभक्ति केवल प्रदर्शन नहीं, सहभागिता है,” उन्होंने कहा। उन्होंने नेताजी के विचारों को नीति निर्माण, प्रशासनिक प्रशिक्षण और नेतृत्व विकास में पुनः शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में अतिथियों को भारतीय राष्ट्रीय सेना ट्रस्ट कैप पहनाकर सम्मानित किया गया। “कदम कदम बढ़ाए जा” की सजीव प्रस्तुति ने आजाद हिंद फौज की भावना को फिर से जीवित कर दिया। समापन में भारतीय राष्ट्रीय सेना ट्रस्ट के पूर्व सैनिकों, युवाओं और देशभक्त प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। भारतीय राष्ट्रीय सेना ट्रस्ट के अध्यक्ष ब्रिगेडियर आर.एस. छिकारा ने कहा, “नेताजी का जीवन अतीत नहीं, बल्कि भविष्य का मार्गदर्शन है। राष्ट्रीय भारतीय राष्ट्रीय सेना ट्रस्ट स्मारक, नेताजी सुभाष मिलिट्री स्कूलों और युवाओं के लिए देशभक्ति कार्यक्रमों के माध्यम से हम उनके विचारों को जीवंत रखने के लिए कटिबद्ध हैं। भारत जब स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर है, तब मोइरंग दिवस की स्मृति हमें यह याद दिलाती है कि आजादी केवल विजय नहीं, बल्कि एक नैतिक उत्तरदायित्व है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासतकृजो नैतिक नेतृत्व, सांस्कृतिक आत्मबोध और अपराजेय राष्ट्रभक्ति में निहित हैकृआज भी भारत के लिए प्रेरणा और संकल्प का स्रोत है।