
मेरठ हीरा टाइम्स ब्यूरो। आईआईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल द्वारा अग्निकर्म और जोंक चिकित्सा पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला और व्यावहारिक प्रशिक्षण का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न संस्थानों के छात्रों, संकाय सदस्यों और चिकित्सकों सहित 200 से अधिक उपस्थित लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यशाला की शुरुआत डॉ. इशेंद्र पाराशर के नेतृत्व में पूजा और धनवंतरी वंदना के साथ हुई। प्रिंसिपल वी.डी. सुजीत कुमार दलाई ने स्वागत भाषण में आधुनिक स्वास्थ्य सेवा में पारंपरिक आयुर्वेदिक तकनीकों के महत्व पर जोर दिया। मुख्य अतिथि डॉ. अतुल वार्ष्णेय ने दर्द प्रबंधन और पुरानी बीमारियों में अग्निकर्म और रक्तमोक्षण की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए एक व्यावहारिक भाषण दिया। डॉ. चंद्रचूड़ मिश्रा द्वारा संचालित अग्निकर्म पर व्याख्यान और कार्यशाला में अग्निकर्म, इसके सिद्धांतों, संकेतों और व्यावहारिक अनुप्रयोगों के बारे में गहन जानकारी दी गई। प्रतिभागियों ने लाइव प्रदर्शन और व्यावहारिक प्रशिक्षण में भाग लिया। जालौका (जोंक चिकित्सा) द्वारा रक्तमोक्षण पर व्याख्यान और कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. रोहित दक्ष ने रक्तमोक्षण के सिद्धांतों पर एक व्यापक व्याख्यान दिया और चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए जोंक चिकित्सा के सुरक्षित और प्रभावी उपयोग का प्रदर्शन किया। डॉ. चित्रांशु सक्सेना ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी गणमान्य व्यक्तियों, संकाय सदस्यों और उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद प्रस्ताव दिया।