साइबर ठगी का शिकार हो रहे हर छोटे बड़े शहर में सरकारी कर्मचारी, गैर सरकारी कर्मचारी, व्यापरी वर्ग, अधिकृत कम्पनीज, सरकारी निगम से लेकर सरकारी विभागों में गहन चिंता का विषय बना हुआ है की आखिर साइबर अपराधी किस तरह से हमारे समस्त वित्तीय विवरणों से परिचित हैं, और जब चाहें हमें अपना शिकार बना लेते है। कभी किसी के खाते से लाखों, करोडो की हेरा फेरा बिना ऑथेंटिकेशन अथवा ओटीपी के कर जातें है। और किस तरह भिन्न प्रकार के षड़यंत्र: जैसे डिजिटल अरेस्ट , डीप फेक, वॉइस क्लोनिंग, एटीएम कार्ड डुप्लीकेसी, पहचान छिपाकर डराना – धमकाना, न्यास भंग इत्यादि के माधयम से हमें ठग लेते हैं। हालाँकि हमारी भारत सरकार हर संभव प्रयास जिसमे इस प्रकार की घटनाओं के प्रति सावधान रहना , अनचाहे लिंक्स पर क्लिक ना करना, किसी अनजान को अपना बैंक खाता या विवरण साझा ना करना, किसी भी व्यक्ति को चाहे वे अपने को बैंक का कर्मचारी ही क्यों ना बताये ओटीपी साझा ना करना इत्यादि।
किन्तु कणिक ज्ञान की अस्पष्टता के कारण आमजनमानस उसका लाभ ले पाने में असमर्थ होता है और तो और हम अक्सर इन बातों पर ध्यान ही नहीं देते। लेकिन जिस दिन ऐसी कोई भी वित्तीय ठगी या उक्त घटना घटती है, उस दिन पीड़ित अपने आप को सबसे ज्यादा असमर्थ, निसहाय और लाचार समझता है। यदि आप भी कभी इस प्रकार की धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं तो हमें अवश्य लिखें।
चलिए अब जानते हैं की आखिर ये सब साइबर ठगों के द्वारा कर पाना कैसे इतना आसान हो जाता है ?
सामान्य तौर पर जब भी आप एक नया बैंक खाता खोलते हैं, आप जारी कराते हैं- चेक बुक, पासबुक एवं एटीएम कार्ड जिसका टेक्निकल नाम प्लास्टिक मनी होता है। आपको शायद जानकार हैरानी होगी की सारी समस्याएं इस एटीएम कार्ड से ही उत्पन्न होती हैं। यह भी जानिये की जैसे ही आपको एटीएम कार्ड जारी किया जाता है, जो की चिप लेवल पे डिजाइन होता है, आपकी समस्त जानकारियां जैसे –
नाम, पता, व्यवसाय, मासिक आमदनी, आपका मोबाइल नंबर इत्यादि। और आप जब भी इस एटीएम कार्ड को डिजिटली यूज करते हैं, हर बार ये कार्ड्स अपनी कंपनी को सिग्नल देकर यह बताते हैं की आप द्वारा किस लोकेशन पर इस कार्ड को इस्तेमाल किया जा रहा है।
यह तो आम बात हुई, खास बात ये है, की साइबर ठग द्वारा आपकी प्रोफाइल का ब्यौरा पहले से ही एटीएम कार्ड जारी करते समय पहुँच गया था। अर्थात एटीएम जारी होते ही आपकी समस्त डिटेल्स इंटरनेट वेब पर घूमने लग जाती हैं। इसी कारण वो ठगी कर पाने में सक्षम होते हैं।
इस बात की पुष्टि भी आवश्यक है की उपरोक्त कथन सत्य है या असत्य ?
तो बताइये , किस के थ्क् अकाउंट से कोई पैसे ठगा गया ? किसी के पीपीएफ अकॉउंट से कोई ऐसे ठगी हुई ? किसी के सुकन्या समृद्धि अकाउंट से ऐसा कोई फ्रॉड हुआ ?
नहीं? क्यूंकि इनमे डेबिट कार्ड्स जारी नहीं होते।
अब आपके लिए जानकारी ही बचाव है।
अभी तब भारत में 5 प्रकार की कम्पनीज एटीएम कार्ड जारी करती थी। भारत सरकार ने पहली बार वर्ष 2012 में रू पए कार्ड लांच किया था, ताकि खाता धारक की समस्त जानकारियां भारत में सुरक्षित रूप से रखी एवं संचालित की जा सकें। अब आप समझ ही पा रहे होंगे की वित्तीय साइबर ठगी से बचने का मुख्या तरीका है, की या तो आप अपना पुराना बैंक खाता बंद करके नया बैंक खाता रू-पए एटीएम कार्ड के साथ खुलवाएं, या फिर, वर्तमान खाते में पुराना एटीएम कार्ड की जगह अपना नया रू-पए एटीएम कार्ड जारी करा सकते हैं । इस एक छोटे से प्रयास से आप अपने साथ भविष्य में होने वाले संभावित वित्तीय धोखाधड़ी से बचने में सक्षम हो सकते है। उम्मीद है आपको जानकारी पसंद आयी होगी , शीघ्र अपना नया लेख नए मुद्दे के साथ लाएंगे, आपका साथ एवं गुण व् दोषो का विश्लेषण करने के लिए आपका आभार।