लखनऊ एजेंसी। दिवाली के बाद से यूपी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। पश्चिमी यूपी के शहरों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। दिल्ली के पास के गाजियाबाद, नोएडा और मेरठ जैसे जिलों में जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही, हवा की गुणवत्ता खराब होती जा रही है। नवंबर के पहले हफ्ते से ही इन शहरों का एक्यूआई 300 से ऊपर दर्ज हो रहा है। एक्यूआई से ही हवा की गुणवत्ता मापी जाती है। 300 से ऊपर एक्यूआई खराब कैटेगरी में आता है। दूसरी तरफ राजधानी लखनऊ सहित और आसपास के जिलों में भी ।फप् 150 से ऊपर रह रहा है। यह हवा भी हेल्थ पर बुरा असर डालने वाली होती है। खासकर बीमार, बुजुर्ग और बच्चों के लिए।डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, बढ़े प्रदूषण की वजह से यूपी के लोगों की औसत उम्र में 8.6 साल की कमी आई है।
सितंबर से खराब होने लगी हवा सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर ने अक्टूबर में प्रदूषण को लेकर एक रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया गया कि इंडो-गंगेटिक मैदानी इलाके के शहरों की हवा की गुणवत्ता सितंबर के बाद से धीरे-धीरे खराब होने लगी है। खासकर, नेशनल कैपिटल रेंज (छब्त्) के इलाके में। अक्टूबर महीने में दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। जबकि सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों वाला राज्य उत्तर प्रदेश रहा। यूपी के 10 शहर देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल रहे। इनमें गाजियाबाद, नोएडा, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, ग्रेटर नोएडा, चरखी दादरी जैसे शहर शामिल हैं। दूसरे नंबर पर हरियाणा रहा, जहां के 2 शहर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल रहे। तीसरे पर बिहार है, जहां का एक शहर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल रहा। रिपोर्ट में बताया गया है कि यूपी के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में वायु गुणवत्ता मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और डब्ल्यूएचओ के दैनिक सुरक्षा निर्देश के अनुसार 15 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक दर्ज किया गया है।