मेरठ । आरजीपीजी कालिज में संस्कृति विभाग एवं राज्य ललित कला अकादमी के सौजन्य से रामोत्सव-2024 होम स्टूडियो चित्रकार कार्यशाला का समापन समारोह किया गया। पाँच दिन चलने वाली इस कार्यशाला की संरक्षिका प्रोफेसर निवेदिता मलिक ने सभी कलाकारों को बधाई दी एवं उनकी उत्कृष्ट कृतियों की प्रशंसा की। कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर अर्चना रानी ने पाँच दिवसीय इस कार्यशाला में पूर्ण सहयोग देने वाले सभी कलाकारों एवं प्राचार्य प्रोफेसर निवेदिता मलिक का आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर प्रिंस राज, अनस सुल्तान, अनमोल त्यागी , सनी शर्मा एवं ओम प्रकाश मिश्रा ने कलाकृतियां बनायी। सभी कलाकारों ने रामायण विषय को लेकर उत्कृष्ट कृतियों बनाई। चित्रकार प्रिंस राज एवं अनमोल त्यागी ने राक्षस मारीच रूपी सोने के हिरण के बध का चित्र बनाया। ताड़का का परिवार अयोध्या के नजदीक एक जंगल में रहता था। ताड़का का परिवार पूरी तरह से राक्षसी प्रवृत्तियों में लिप्त रहता था। वह देवी देवताओं के लिए यज्ञ करने वाले ऋषि मुनियों को तंग किया करते थे। सभी ऋषि मुनि ताड़का और उसके दोनों पुत्रों से परेशान थे। जब उन्होंने यह बात ऋषि विश्वामित्र को बताई तो विश्वामित्र अपने दो शिष्यों राम और लक्ष्मण को लेकर यज्ञ भूमि पहुंचे। अयोध्या के दोनों राजकुमारों ने ताड़का के परिवार का अंत कर दिया। सनी शर्मा ने राम और शबरी की सुंदर भावाभिव्यक्ति अपने चित्र में उतारी। रामायण में शबरी और श्रीराम की कथा अरण्य काण्ड में आती है। शबरी एक भीलनी थी, जिसने अपनी साधना और भक्ति से श्रीराम को प्रसन्न किया। कथा के अनुसार, जब श्रीराम और लक्ष्मण सीता की खोज में वन में भटक रहे थे, तब वे शबरी के आश्रम पहुँचे। शबरी ने अपने गुरु मतंग ऋषि के निर्देशानुसार जीवनभर श्रीराम की प्रतीक्षा की थी। जब श्री राम उनके आश्रम में आए, तो उन्होंने उनका अत्यंत भक्ति भाव से स्वागत किया। चित्रकार अनस सुल्तान के चित्र में श्रीराम का तपस्वी रूप दिखाई दिया। भगवान राम ने एक राजा और एक तपस्वी के रूप में अपनी भूमिकाओं को उल्लेखनीय अनुग्रह और ईमानदारी के साथ संतुलित किया। डॉक्टर ओम प्रकाश मिश्रा ने सुंदरकांड की सुप्रसिद्ध पंक्ति”बाएँ भुजा असुर दल मारा” को लेकर अपनी कलाकृति बनायी।
उनकी कलाकृति में हनुमान जी ने राक्षस के बालों को पकड़ रखा है और उसकी पीठ पर बैठकर उसका दमन करते दिखाई दे रहे हैं इस प्रकार पांचों कलाकारों ने रामायण विषय को लेकर भावपूर्ण धार्मिकता से परिपूर्ण कलाकृतियाँ बनायी।
प्रोफेसर अर्चना रानी ने बताया कि कल सभी कलाकारों की कृतियाँ लखनऊ के लिए रवाना हो जाएंगी और शीघ्र ही राज्य ललित कला अकादमी इनकी प्रदर्शनी आयोध्या में आयोजित करेगी। प्रोफेसर अर्चना रानी ने राज्य ललित कला अकादमी की निदेशक डॉक्टर श्रद्धा शुक्ला का भी आभार व्यक्त किया।