
मेरठ हीरा टाइम्स ब्यूरो। हमारे भोजन का 95 फीसदी हिस्सा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी से ही आता है। यह पौधों को बढ़ने और पनपने के लिए आवश्यक पोषक तत्व, पानी, ऑक्सीजन और जड़ों को सहारा प्रदान करती है।
परंतु जलवायु परिवर्तन और मानवजनित गतिविधियों के कारण, हमारी मिट्टी का क्षरण हो रहा है। आईआईएमटी विश्वविद्यालय में आयोजित मृदा एवं पर्यावरण स्वास्थ्य संरक्षण विषय पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण को संबोधित करते हुए विशेषज्ञों ने बताया की टिकाऊ मृदा प्रबंधन के माध्यम से 58 फीसदी तक अधिक खाद्यान्न उत्पादन किया जा सकता है। आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान महाविद्यालय में इफको टोक्यो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटिड द्वारा वित्त पोषित परियोजना अंतर्गत मृदा एवं पर्यावरण स्वास्थ्य संरक्षण विषय पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण का गुरुवार को समापन हो गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईआईएमटी विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति डॉ0 मयंक अग्रवाल ने प्रशिक्षण विषय को पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण बताया। प्रति कुलाधिपति जी ने कृषि विज्ञान महाविद्यालय के शिक्षकों को इस अनूठी पहल पर बधाई देते हुए किसानों से मृदा स्वास्थ्य को अच्छा रखने तथा स्वस्थ्य उत्पाद पैदा करने की अपील की।
विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. दीपा शर्मा ने प्रशिक्षण को आमजन के लिए बहुत उपयोगी बताया। प्रशिक्षण के समापन समारोह के मुख्य अतिथि कृषि विज्ञान केंद्र हस्तिनापुर के अध्यक्ष डॉ0 ओमवीर सिंह ने अपने संबोधन में बताया कि किसान की जागरूकता से ही मृदा स्वास्थ्य संरक्षण संभव है। कृषि विज्ञान महाविद्यालय के डीन डॉ. राजबीर सिंह ने प्रशिक्षण में आए किसानों, अतिथियों, कृषि विज्ञान महाविद्यालय के शिक्षकों, छात्रों एवं मीडिया का प्रशिक्षण को सफल बनाने में योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।