मेरठ हीरा टाइम्स ब्यूरो। मेरठ कालिज मेरठ में संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर मेरठ कॉलेज, मेरठ के विधि विभाग में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायमूर्ति राजवीर सिंह तथा न्यायमूर्ति अजीत सिंह विशिष्ठ अतिथि रहे। मेरठ कॉलेज, मेरठ मैनेजमेन्ट कमेटी के अध्यक्ष डॉ. ओ.पी. अग्रवाल, अवैतनिक सचिव विवेक गर्ग, प्राचार्य प्रो. मनोज कुमार रावत भी संगोष्ठी में अतिथि के रूप में मौजूद रहे। संगोष्ठी का शुभारम्भ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। विधि विभागाध्यक्ष प्रो. कामेश्वर प्रसाद ने समस्त अतिथियों का स्वागत किया। प्राचार्य प्रो. मनोज कुमार रावत ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज का दिन मेरठ कॉलेज के इतिहास में गौरवमयी है क्योंकि दो न्यायमूर्ति एवं पुरातन छात्र हमारे बीच उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि संविधान से ही हमारे देश का संचालन हो रहा है। हमारे संविधान की मुख्य विशेषता यह है कि यह सहयोगात्मक संघात्मक संविधान है। यह कठोर और लचीला दोनों है। आधारभूत संरचना इसका मुख्य गुण है, जिसे बदला नहीं जा सकता। अवैतनिक सचिन विवेक गर्ग ने कहा कि संविधान में हमारे अधिकारों के साथ-साथ दायित्व भी दिए गए है। हमें अपने दायित्वों का पूरी तत्परता के साथ पालन करना चाहिए। अध्यक्ष डॉ.ओ.पी. अग्रवाल ने कहा कि भारत को स्वतंत्रता 15 अगस्त 1947 को मिली थी। संविधान, 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ और सभी ने इसे आत्मार्पित किया। संविधान के बेहतर प्रवर्तन के लिए हमंे पूर्ण जिम्मेदारी, ईमानदारी और मेहनत से अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। कर्म ही हमारा ईमान है, यही धर्म है, यही हमारी पूजा है। समन्वयक प्रो.एच.एस. राय ने कहा कि संविधान एक जीवन्त दस्तावेज है। संविधान दिवस को पहले विधि दिवस के रूप में मनाया जाता था। लेकिन 26 नवम्बर 2015 से इसे संविधान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
विशिष्ठ अतिथि न्यायमूर्ति अजीत सिंह ने कहा कि हमें सदियों की गुलामी झेलने के बाद आजादी प्राप्त हुई और उसके बाद संविधान की रचना की गई। हमारे संविधान में सभी लोगों को राजनैतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है लेकिन आर्थिक स्वतंत्रता आज तक हम अपने नागरिकों के लिए सुनिश्चित नहीं कर पाये हैं। आज देश की 50 प्रतिशत सम्पत्ति 1 प्रतिशत लोगों के पास है। बाकी 50 प्रतिशत सम्पत्ति 99 प्रतिशत लोगों के पास है। गांव में रहने वाला दूरस्थ व्यक्ति आज भी आर्थिक एवं अन्य अधिकारों से वंचित है। हमंे अपने नैतिक मूल्यों पर बल देना होगा। संविधान दिवस मानने का मूल मंतव्य तभी पूर्ण होगा जब समानता एवं भाईचारा समाज में बढ़ेगा। हमें आत्म चिंतन करना होगा, संवैधानिक मूल्यों को आत्मसात करना होगा। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान को समझने के लिए हमंे इसकी पृष्ठभूमि में जाना चाहिए। भारतीय संविधान में कमजोर वर्गाें के लिए विशेष प्रावधान किए गए इसलिए भारत के संविधान को सामाजिक दस्तावेज भी कहते हैं। संविधान लागू होने के बाद जमींदारी उल्मूलन एवं जोतदारों को भूमि का स्वामित्व देना एक बड़ी चुनौती थी जिसे प्रथम संविधान संशोधन के द्वारा पूरा किया गया। सम्पत्ति के आधार को मौलिक अधिकारों की श्रेणी से निकालकर संवैधानिक अधिकार बना दिया गया। अनुच्छेद 21 के अन्तर्गत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का निर्वचन भी सर्वाेच्च न्यायालय ने संवैधानिक आदर्शाें के अनुरूप किया है। ’’विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया’’ की व्याख्या सम्यक प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप अर्थात न्यायपूर्ण, उचित एवं सम्यक होना आवश्यक बताया है। इस अनुच्छेद 21 ने भारत के समस्त व्यक्तियों को अनेक सम्मानजनक एवं गरिमामय अधिकार प्रदान किए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसी देश का संविधान तभी सफल होगा जब उसे मानने वाले लोग ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा से उसका पालन करेगें। कार्यक्रम के अन्त में निबन्ध, वाग्मिता एवं आंशु भाषण प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को ट्राफी एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। निबंध प्रतियोगिता में कु. रीतिका एवं मुक्ता भारद्वाज संयुक्त रूप से प्रथम तथा प्रार्थना त्यागी एवं रिंकी निर्मल संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान पर तथा प्रियंका सब्वरवाल एवं बुसरा अन्सारी संयुक्त रूप से तृतीय स्थान पर रहे। वाग्मिता प्रतियोगिता में मुक्ता भारद्वाज प्रथम, विधि द्वितीय स्थान पर तथा आयशा अंसारी तृतीय स्थान पर रहे। आंशु भाषण प्रतियोगिता में मुक्ता भारद्वाज प्रथम, वंशज त्यागी द्वितीय तथा काशिफ एवं पी.सन्त कुमार संयुक्त रूप से तृतीय स्थान पर रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. कौशल प्रताप सिंह, कृष्ण कुमार गुप्ता, प्रो. धर्मराज राम, प्रो.राजकुमार उपाध्याय, प्रो. संगीता उपाध्याय, प्रो. अनुराग सिंह, प्रो. द्वारिका प्रसाद, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. दानिश, डॉ. जितेन्द्र सिंह यादव तथा चीफ प्राक्टर नरेश कुमार का विशेष सहयोग रहा। शोध छात्रों में अंकित आर्या, विवेक, विशाल, सुहेल, भावना रानी एवं रेखा ढिलौर का विशेष सहयोग एवं योगदान रहा।