गोरखपुर एजेंसी
गोरखपुर में शुक्रवार को ब्ड योगी आदित्यनाथ ने जटायु संरक्षण केंद्र का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा- आज जटायु संरक्षण केंद्र के लोकार्पण कार्यक्रम में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके लिए मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा- रामायण काल का पहला वरदानी, जिसने धर्म के लिए, नारी गरिमा और रक्षा के लिए अपने आपको बलिदान किया था। तो वह वीर और वरदानी कोई और नहीं था। वह वीरराज जटायु थे । उन्होंने कहा- आज भी आप गांव में देखते होंगे कि अपने घर में कोई खाना खिलाए या न खिलाए, लेकिन कोई कसाई गाय की हत्या कर दे तो मुझे लगता है कि कोई सनातनी इसको बर्दाश्त नहीं करता है। बंदर भले ही आपकी फसल-बाग का कितना ही नुकसान कर ले, लेकिन कोई बंदर की हत्या कर दे, तो आप उसे बर्दाश्त नहीं करते। क्योंकि उसके पूर्वजों ने हमारी परंपरा के लिए सर्वस्व बलिदान करने में योगदान दिया था।
जटायु की पीढ़ी है गिद्ध: सीएम योगी ने कहा- हनुमान जी ने माता सीता को ढूंढने में अपना जीवन लगाया था। उसके प्रति कृतज्ञता हम जाहिर करते हैं। रामायण काल के पहले वरदानी जटायू हैं। आज वर्तमान में गिद्ध जटायु की पीढ़ी है। जब दवा और प्रेस्टिसाइज का इस्तेमाल हुआ, तो इसका प्रभाव सबसे ज्यादा गिद्धों पर पड़ा। आज उनके बचाव और संरक्षण के लिए इस जटायू केंद्र की शुरुआत की गई है। रामायण काल का सुनाया प्रसंग: रामायण काल के प्रसंग हमारे सामने आते हैं। तुलसीदास जी कहते हैं- गीधराज सुनि आरत बानी। रघुकुलतिलक नारि पहिचानीघ् अधम निसाचर लीन्हें जाई। जिमि मलेछ बस कपिला गाई। उन्होंने कहा है कि जटायु ने सीताजी की दुखभरी वाणी सुनकर पहचान लिया कि ये रघुकुल तिलक श्री रामचन्द्रजी की पत्नी हैं। उन्होंने देखा कि राक्षस उनका अपहरण करके वैसे ही ले जा रहा है, जैसे कोई मलिछ कपिला गाय को ले जाता है। यह राक्षस कोई और नहीं रावण था। जटायु रावण से भिड़ गए थे। सीएम योगी ने कहा- गिद्धराज की मित्रता बहुत विश्वसनीय थी। महराज दशरथ के साथ अपनी मित्रता और नारी गरिमा को बचाने के लिए रामायण काल के पहले वरदानी गिद्धराज जटायु जी ने अपना बलिदान दिया। आप अयोध्या जाएंगे तो देखेंगे कि वहां राम मंदिर के पास जटायु जी की विशाल प्रतिमा बनी है। मित्रता कैसी होनी चाहिए? यह भी गिद्धराज से देख लीजिए। वचन कैसे निभाने चाहिए? यह भी हमारी रामायण हमें बता देती है। रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन ना जाई। वचन नहीं जाना है। जब एक बार कह दिया कि होकर रहेगा, तो यह कहकर हमारा रामायण काल आदर्श बना है। जटायु की वर्तमान पीढ़ी के लिए किया जाने वाला काम अविस्मरणीय गांव-गांव में यह बात कही जाती है। इसके पीछे का कारण है, तब अनुशासन था, गरिमा थी। मित्रता का धर्म निभाने और नारी गरिमा की रक्षा करने का दायित्व गिद्धराज जटायु कर रहे हैं। आज के कालखंड में इस धरती की सूक्ति के लिए जो कार्य जटायु की वर्तमान पीढ़ी के लिए किया जाता है। वह अविस्मरणीय है। कृतज्ञता के लिए संरक्षण केंद्र बनाया जाता है। इसके लिए वन विभाग को बधाई देता हूं।