पानीपत एजेंसी। भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण केस के मामले की सुनवाई शुरू हो गई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महिला पहलवानों को बयान दर्ज करवाने के 2 विकल्प दिए। इसमें कहा कि अगर वह कोर्ट रूम में गवाही देने में सहज हैं तो इसकी खुली सुनवाई करेंगे। अगर वे सहज नहीं हैं तो फिर उन्हें श्कमजोर गवाहश् मानकर उनके बयान दर्ज किए जाएंगे। फैसला पहलवानों पर निर्भर करता है। इसके बाद कोर्ट ने पहलवानों की सहमति पर कहा कि उनकी गवाही जज के सामने होगी। इसमें बृजभूषण के वकील भी शामिल नहीं होंगे। यह बयान कोर्ट रूम के साथ वाले कमरे में होंगे।
इस पर बृजभूषण के वकील ने कोर्ट को कहा कि महिला पहलवानों की गवाही जज के आगे जरूर हो, लेकिन कोर्ट रुम में गवाह के अलावा दूसरा कोई न हो। सुनवाई के दौरान बृजभूषण भी कोर्ट में हाजिर हैं। करीब 2 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने श्कमजोर गवाहश् की परिभाषा के दायरे का विस्तार किया था। इस श्रेणी में पहले 18 साल से कम उम्र के किशोर हुआ करते थे, लेकिन इसे विस्तारित कर इसमें उम्र और लिंग से परे यौन उत्पीड़न के शिकार और मानसिक बीमारी से पीड़ित गवाह भी शामिल किए गए।
शीर्ष अदालत ने बोल न पाने या सुनने में असमर्थ व्यक्ति, अन्य दिव्यांग या अन्य गवाह (जिसे सक्षम अदालत कमजोर मानता है) को शामिल करने के लिए इसकी परिभाषा का विस्तार किया। इसमें कहा गया कि कमजोर गवाहों के साक्ष्य दर्ज करने के लिए एक सुरक्षित और बाधा मुक्त वातावरण बनाने की विशेष सुविधाएं हों।
पुलिस ने हटाई थी महिला पहलवानों की सुरक्षा
इससे पहले मुकदमा करने वाली 3 महिला पहलवानों की सिक्योरिटी हटा लेने पर अदालत ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी। गुरुवार को महिला रेसलर्स ने दिल्ली की अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि शुक्रवार को एक पहलवान की कोर्ट में गवाही होनी है, लेकिन इस गवाही से एक दिन पहले दिल्ली पुलिस ने उनकी सुरक्षा वापस ले ली।
अदालत ने इस याचिका पर पहल के आधार पर सुनवाई की और दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि तीनों रेसलर्स को तुरंत सुरक्षा मुहैया कराई जाए। अदालत ने अंतरिम आदेश में यह भी कहा कि कोर्ट के अगले ऑर्डर तक महिला रेसलर्स की सुरक्षा न हटाई जाए।
वहीं महिला पहलवानों की सिक्योरिटी हटाने के बारे में पूछे जाने पर बृजभूषण ने कोई जवाब देने से इनकार करते हुए कहा कि मुझसे यह पूछने का अधिकार नहीं है।