मेरठ। सुप्रीमकोर्ट द्वारा एससी-एसटी वर्गो के आरक्षण के वर्गीकरण करने व क्रिमिलेयर लागू करने के विरोध में एक दर्जन से अधिक दलित संगठनों ने कलेक्टेªट में प्रदर्शन करके राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल उत्तर प्रदेश के नाम ज्ञापन भेजा।
भारतीय मूलनिवासी संगठन के जिलाध्यक्ष उपेन्द्र कुमार गौतम ने कहा कि 1 अगस्त को सुप्रीमकोर्ट द्वारा एससी-एसटी वर्गो के आरक्षण के वर्गीकरण करने व क्रिमिलेयर लागू का आदेश दिया है जिस कारण एससीएसटी वर्गो के संवैधानिक अधिकार समाप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। भीम आर्मी स्टूडेंट फैडरेशन के पश्चिम प्रभारी शान मौहम्मद ने कहा कि केन्द्र सरकार से मांग है कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर पुर्नविचार करते हुए संसद में अध्यादेश लाकर एससीएसटी वर्ग के आरक्षण की रक्षा की जाएं।
भारतीय बौद्ध शिक्षा संस्थान नई बस्ती लल्लापुरा के महासचिव बेगराज सिंह 1 अगस्त के आदेश को निरस्त किया जाएं।
डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय अधिवक्ता संघ के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि यह आदेश एससीएसटी समुदाय को कमजोर करने का गैर संविधान निर्णय है।
प्रगतिशील अधिवक्ता एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष रतन एडवोकेट ने कहा कि संसद में एक नया कानून बनाना चाहिए। समता सैनिक दल के अध्यक्ष रविश चन्द एडवोकेट ने कहा कि केन्द्र सरकार को एससीएसटी आरक्षण के लिए एक कानून बनाना चाहिए।
पूर्व विधायक योगेश वर्मा ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला वापिस हो,देश में जाति जनगणना कराकर आबादी के अनुसार आरक्षण लागू किया जाएं।
बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह पाल ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा । उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट द्वारा एससीएसटी आरक्षण के उपवर्गीकरण के फैसले बहुजन समाज पार्टी सहमत नही है। इस दौरान पूर्व सांसद मुनकाद अली, शाहजहां सैफी, सहित भारी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे।