अयोध्या एजेंसी। एक बार फिर सुर्खियों में है, इस बार वजह राम मंदिर नहीं। बल्कि 40 किमी दूर बसे मिल्कीपुर की वजह से। 10 सीटों के उपचुनाव में मिल्कीपुर हॉट सीट बन चुकी है। पब्लिक की माने तो सुरक्षित सीट का जातिगत फैक्टर फिलहाल सपा के पक्ष में दिख रहा। मगर भदरसा गैंगरेप कांड में सपा नेता मोईद का नाम आने के बाद भाजपा को लीड मिलती दिख रही है। लोग सिर्फ भाजपा और सपा के बीच टक्कर मानते हैं। भले ही 2007 में मिल्कीपुर के लोगों ने बसपा का विधायक बनाया था। लेकिन 2024 के उपचुनाव में लोग बसपा को सीन में नहीं मान रहे। बसपा ने चुनावी लड़ाई में बने रहने के लिए सबसे पहले राम गोपाल कोरी को कैंडिडेट बनाकर उतार दिया। भाजपा और सपा ने अब तक कैंडिडेट घोषित नहीं किए हैं। हालांकि, सपा सांसद अवधेश प्रसाद बेटे अजित प्रसाद के पक्ष में छोटी-छोटी सभाएं कर रहे हैं। पासी और कोरी बिरादरी के भरोसे वह जीत का दावा कर रहे हैं। दूसरी तरफ, 2017 के भाजपा विधायक बाबा गोरखनाथ अपनी बिरादरी में एक्टिव हैं। चर्चा है कि भाजपा पासी कैंडिडेट पर दाव लगा सकती है। मिल्कीपुर के लोग कहते हैं- अगर ठश्रच् ने पुराने चेहरों को टिकट दिया, तो जीत मुश्किल होगी। लोग बोले- मौजूदा में वोटिंग करा लें तो बीजेपी जीत सकती है: अयोध्या से करीब 40 किमी दूरी तय करके हम मिल्कीपुर पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात राम कृष्ण दुबे से हुई। वह शिक्षक हैं, हमने पूछा- उपचुनाव आ गए हैं। क्या सियासी समीकरण बन रहे हैं? वह कहते हैं- लोकसभा चुनाव में ऐसे रिजल्ट आए कि किसी ने सोचा भी नहीं था। सपा के टिकट पर जो सांसद बने हैं। उनकी भी स्थिति बहुत ठीक नहीं है। उनके बेटे को टिकट देने की बात चल रही है। मौजूदा वक्त में वोटिंग करा लें तो भाजपा भारी पड़ सकती है। लोगों का रुझान भाजपा के प्रति है। हालांकि, किसान यहां आवारा मवेशियों से बहुत परेशान हैं। भाजपा कहती कुछ है और करती कुछ, इससे भी लोग परेशान हैं। फिलहाल चुनाव पूरी तरह से चेहरों पर निर्भर करेगा। यहां से कुछ आगे चलने पर हमारी मुलाकात विनय कुमार गुप्ता से हुई। वह समाजसेवी हैं। चुनाव सीन पर कहते हैं- भाजपा सभी चुनाव राम मंदिर के मुद्दे पर लड़ती आई है। मुख्यमंत्री अभी कृषि विश्वविद्यालय के रोजगार मेले में आए थे। उन्होंने कहा कि बहनों के लिए फ्री बस सेवा समेत तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं। सुविधाएं दी गई हैं। लेकिन फिर भी लोग असंतुष्ट हैं। मिल्कीपुर में हम एक चाय की दुकान पर रुके, यहां भी चुनाव को लेकर चर्चा चल रही थी। यापारी दुर्गा प्रसाद मिश्रा कहते हैं- यहां योगी लगातार आ रहे हैं, ये अच्छी बात है। लेकिन उन्हें जनता के बीच अविश्वास को पाटना होगा। चुनाव नजदीक आते ही सपा का मूवमेंट भी बढ़ जाएगा। लोग उसी को वोट देंगे, जो उनकी समस्याएं कम करेगा। यहां से कुछ दूरी पर खड़े छात्र कर्मवीर सिंह कहते हैं- मुख्यमंत्री मिल्कीपुर क्षेत्र के कार्यक्रमों में इसलिए शामिल हो रहे हैं, क्योंकि यहां उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। अब तो कृषि मंत्री भी समाधान दिवस में जनता की समस्या सुन रहे हैं। इससे पहले कुछ क्यों नहीं हो रहा था। अचानक सब होने लगा है। जनता सब जानती है साहब। संजय तिवारी ने कहा- यूपी के डेवलपमेंट को लेकर अगर कुछ काम किए होते, तो ब्ड योगी आदित्यनाथ को उपचुनाव में इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती। मुख्यमंत्री अयोध्या आते रहे। खुद सारी योजनाएं, प्लानिंग डील करते रहे। फिर भी अफसरशाही हावी है। योजनाओं में भ्रष्टाचार हुआ है। आप देखिए, नए कंस्ट्रक्शन में गड्घ्ढे हो गए। आवारा जानवरों से किसान किस हद तक परेशान हैं। मिल्कीपुर में सियासी हवा किस तरफ बह रही है, समझने के लिए हमने पॉलिटिकल एक्सपर्ट से 4 सवाल किए? क्या मिल्कीपुर में भाजपा-सपा की सीधी टक्कर है?
क्या अयोध्या गैंगरेप कांड में सपा नेता का नाम आने का चुनाव पर असर पड़ेगा? क्या बसपा का कैंडिडेट खेल बिगाड़ेगा?
मिल्कीपुर में कौन-सी जाति निर्णायक है, इस बार क्या जातिगत फैक्टर बन रहे हैं? एक्सपर्ट के जवाब लोकल मुद्दे हावी होंगे, लड़ाई में सिर्फ भाजपा और सपा पॉलिटिकल एक्सपर्ट सुमन गुप्ता कहती हैं- मिल्कीपुर में भाजपा और सपा के बीच सीधी फाइट है। लोकसभा चुनाव में बसपा के कैंडिडेट को मिल्कीपुर से खास सपोर्ट नहीं मिला। मिल्कीपुर सुरक्षित सीट है। ऐसे में अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक हैं। भदरसा गैंगरेप कांड के बाद सपा कैंडिडेट के लिए फाइट टफ है, क्योंकि महिलाओं का मुद्दा सबको जोड़ता है। इस पर हर व्यक्ति आंदोलित हो उठता है। सपा नेता पर लगने वाले आरोप सही है या गलत, यह बाद की बात है।
जातिगत स्थिति के प्रभाव की बात है। अभी कैंडिडेट के चेहरे भी साफ नहीं है। उनके चुनावी मैदान में आने के बाद बहुत कुछ साफ होगा। यह भी देखना होगा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री ने मिल्कीपुर सीट को टारगेट पर लिया है। लगातार दौरे किए जा रहे हैं। उन्होंने 3-3 मंत्रियों की तैनाती कर दी है। लोकसभा चुनाव बड़ा था, मगर यह उपचुनाव है। लोकल मुद्दे और लोकल चेहरे ज्यादा असरदार होने वाले हैं।
सवर्ण वोट एकजुट हुआ तो बदल सकती है सियासी तस्वीर
पॉलिटिकल एक्सपर्ट घ्घ्घ्घ्अशोक तिवारी कहते हैं- मिल्कीपुर हॉट सीट है। सीन में भाजपा और सपा ही हैं। लोकसभा सीट सपा के पास हैं। बसपा कैंडिडेट भले मैदान में हैं, लेकिन उनकी कोई बड़ी भूमिका नहीं है। बसपा का ग्राफ गिरता जा रहा है। पार्टी के कैडर को वोट ज्यादा नहीं मिलना है। मगर कोरी बिरादरी का वोट मिलेगा। लेकिन पिछले चुनाव जैसा वोट उन्हें नहीं मिलेगा।
भदरसा गैंगरेप कांड का बहुत असर उपचुनाव में नहीं पड़ेगा। जैसा कि भाजपा चाह रही है। यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि गैंगरेप में मुख्य आरोपी मोईद खान है, वह पूरे क्राइम में शामिल नहीं था। मोईद के आरोपी बनने के बाद भाजपा सपा सरकार के समय की गुंडागर्दी को प्रमोट करेगी। इसका वोटर पर थोड़ा बहुत तो असर होगा। मिल्कीपुर सपा का गढ़ रहा है। मित्रसेन का परिवार अगर इस चुनाव में पूरी तरह से एक्टिव हुआ तो असर दिखेगा।
सुरक्षित सीट पर पासी बिरादरी करीब 70 हजार है, कोरी बिरादरी भी 35 हजार हैं। सपा के अवधेश प्रसाद पासी हैं, इसलिए ये बिरादरी तो उनको ही चुनेगी। सवर्ण की भूमिका पर सबकी निगाह है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में सवर्ण बहुत उदासीन रहा, वोट डालने तक नहीं गया। इस बार भी ऐसी स्थिति नहीं लग रही है कि सवर्ण पूरी तरह से वोट करेगा। यादव और मुस्लिम को लेकर पहले से तय है कि वो सपा को वोट करेंगे।
यहां लड़ाई योगी बनाम अखिलेश, बाकी सब सिर्फ प्रतीक
पॉलिटिकल एक्सपर्ट आनंद मोहन कहते हैं- ब्ड योगी के बार-बार यहां आने से मिल्कीपुर सबसे हॉट सीट बन गई है। अब ये लड़ाई सीधे-सीधे योगी आदित्यनाथ बनाम अखिलेश यादव बन चुकी है। सपा सांसद अवधेश प्रसाद और भाजपा कैंडिडेट सिर्फ इस लड़ाई में प्रतीक होंगे। बसपा चुनाव में लड़ेगी जरूर, मगर वह निर्णायक भूमिका में नहीं आ पाएगी। पहले भी यहां से बसपा बहुत असरदार नहीं रही है।
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