मेरठ। शहर में 500 कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। इनमें से किसी के पास भी फायर एनओसी नहीं है, नियमानुसार कोचिंग सेंटर सरीखे किसी भी संस्थान को चलाने के लिए संचालक के पास फायर एनओसी का होना जरूरी है। फायर एनओसी का ना होना एक अलग बात है, चौंकाने वाली बात तो यह है कि कोचिंग सेंटर संचालक फायर एनओसी लेना जरूरी तक नहीं समझ रहे हैं।
दिल्ली की घटना के बाद शासन से लेकर प्रशासन तक साबित करने में लगे है कि वो कितने गंभीर हैं। इससे पहले ना कोई जिक्र ना माजरा, तीन मौत क्या हुई सभी को अपनी जिम्मेदारियां याद आ र्गइं। शासन ने रिपोर्ट तलब की तो मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसरों भी अचानक बिल्डिंगों के बेसमेंट में चल रही व्यवसायिक गतिविधियों पर कार्रवाई का ध्यान आ गया। तीन जिम और एक लाइब्रेरी व तीन कोचिंग सेंटर सील कर दिये। हालांकि अवैध रूप से सील किये गए कोचिंग सेंटर ही नहीं चल रहे, शहर के तमाम कोचिंग सेंटर ही अवैध हैं। इनके पास फायर की एनओसी तक नहीं। ये बात खुद सीएफओ भी मान रहे हैं। कैंट विधायक बोले-हादसे के बाद ही कार्रवाई क्यों? दिल्ली कोचिंग सेंटर हादसे और हादसे के बाद कार्रवाई का किया जाना, कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या अधिकारियों को पहले से नहीं पता था कि कहां पर अवैध रूप से व्यवसायिक गतिविधियां जारी हैं। हादसे के बाद एकाएक कैसे अधिकारियों को पता चल गया कि अमुक जिम या लाइब्रेरी अवैध रूप से संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि क्या यह जरूरी हो गया है कि मेरठ विकास प्राधिकरण हो या कोई अन्य विभाग के अधिकारी कार्रवाई तभी करेंगे, जब कोई बड़ी घटना हो जाएगी। उसका शिकार कोई शख्स हो जाएगा। ऐसा सभी विभागों के साथ होता है। इस प्रकार का कोई भी काम रातों रात तो हो नहीं जाता। ना रात के अंधेरे में होता है। फिर अधिकारी क्यों नहीं ऐसे मामलों में शुरू में ही कार्रवाई करते हैं। एजेंसी।