मेरठ। दवा व्यवसाय की तकलीफों का मुख्य कारण निर्वाचित तथा सामूहिक नेतृत्व का कोई प्रमाणिक संगठन का ना होना है। यहां तो उल्टे दवा कंपनियों ने संगठन का चयन किया हुआ है।
उत्तर प्रदेश संघर्ष समिति के संस्थापक गोपाल अग्रवाल ने पत्रकार वार्ता कर संघर्ष समिति के गठन तथा केमिस्टों की मांगों पर खुलकर चर्चा करते हुए तथ्यों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने सिद्धांत और नीति की बात उठाते हुए कहा कि लोकतंत्र के पांचवे स्तंभ के रूप में वर्गीय संगठनों को महत्वपूर्ण बताया गया है। ऐसे संगठनों में जहां सदस्यों के सीधे निर्वाचन प्रणाली से प्रतिनिधि आए हुए नहीं हैं अर्थात नामित संगठनों में एकल संगठन के बजाय दो या अधिक संगठनों का होना आवश्यक है। यह माना गया है यदि एकल संगठन शोषक वर्ग से संधि कर ले तो सदस्यों का अनर्थ होना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में दो या अधिक संगठन अपने सदस्यों के हितों के लिए सामने आएंगे। उदाहरण देते हुए उन्होंने श्रमिक संगठनों का वर्णन किया। परंतु जहां सीधी निर्वाचन प्रणाली है अर्थात जहां संगठन के प्रत्येक सदस्य को सीधा मताधिकार प्राप्त है वहां स्वस्थ विपक्ष स्वयंमेव ही उभर कर आता रहता है। उत्तर प्रदेश में दवा विक्रेताओं का सीधी निर्वाचन प्रणाली के अंतर्गत कोई संगठन नहीं है।
इसी कारण उत्तर प्रदेश में संघर्ष समिति का गठन विगत 16 जून 2024 को कानपुर में हुआ और एक माह के अंदर प्रदेश के प्रत्येक जिले में इसकी कमेटियों बन गई। संघर्ष समिति 6 माह के अंदर सभी जनपदों में चुनाव करा देगी। अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश की मेरठ में होने वाली कार्य परिषद की बैठक में 10 अन्य प्रांतों के प्रतिनिधि भी आ रहे हैं। शीघ्र ही राष्ट्रीय स्तर पर दवा विक्रेताओं की आवाज बनकर ऑल इंडिया केमिस्ट फेडरेशन के नाम से राष्ट्रीय स्तर के संगठन के रूप में एक निर्वाचित संगठन भारत के दवा विक्रेताओं का प्रतिनिधित्व करेगा। उत्तर प्रदेश संघर्ष समिति की बैठक मैं दवा निर्माताओं के द्वारा व्यवसाईयों के समक्ष पैदा की जा रहीं दुश्वारियां के संकट पर गोपाल अग्रवाल ने कहा कि गंभीरता से चर्चा होगी जिसमें बड़ा मुद्दा एक्सपायरी के क्लेम का समाधान ना होना है। एक्सपायरी के दावों को 6 माह से पहले कंपनी को भेजने की नीति के कारण दवा विक्रेताओं को हानि हो रही है क्योंकि रोज-रोज एक्सपायरी को छांटना संभव नहीं है। एक सामान्य दुकान पर 20-25 हजार की दवा की वैरायटी होती है। इसलिए मांग की जा रही है कि एक्सपायरी के दावों से समय सीमा समाप्त की जाए। गोपाल अग्रवाल ने दवा कंपनियों की अपनी मर्जी से बिना आर्डर माल भेजने की नीति का कड़ा विरोध प्रकट करते हुए कहा कि दवा कंपनियों ने एस एस डी नीति के नाम से दवा व्यवसाय के ऊपर वज्रपात कर दिया है जिसके अंतर्गत कंपनियां बिना आर्डर के विक्रेता को अपनी चॉइस से माल की सप्लाई करेंगी जिसका समूचे भारत में घोर विरोध हो रहा है।नई फूड लाइसेंस नीति पर केंद्र सरकार को पुनर्विचार करने के लिए कहेंगे । जिसके अंतर्गत फूड लाइसेंस लेने वालों को नवीनीकरण के समय एक दिन का भी विलम्ब होने पर 6000 जुर्माना आरोपित किए जाने का प्राविधान है।
प्रदेश कार्य समिति की बैठक बॉम्बे बाजार स्थित चौंबर ऑफ कॉमर्स में 5 अगस्त को होगी जिसमें महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़,मध्य प्रदेश तथा दिल्ली से प्रतिनिधियों के आगमन की पुष्टि हो चुकी है अन्य राज्यों से भी भागीदारी के लिए एक-दो दिन में सूचनाएँ प्राप्त हो जायेगी।
वार्ता में मेरठ संघर्ष समिति से अरुण शर्मा शिवालिक, सुधीर चौधरी, राम अवतार तोमर, मनोज अग्रवाल, अंकुर सहारण, अभिनव शर्मा ,ललित कुमार, गौरव रस्तोगी, गौरव कुमार, शशांक कंसल एवं अरुण मोदी आदि मौजूद रहे।