सहारनपुर एजेंसी। योगी सरकार ने कांवड़ रूट पर दुकान और दुकानदारों का नाम लिखने का आदेश जारी किया। सरकार की ओर से ऐसा आदेश पहली बार जारी किया गया।
इससे पहले नॉनवेज की दुकानों और उसे परोसने वाले ढाबा-होटल को बंद करने का आदेश दिया जाता था। इस बार आदेश को अमल में लाने की शुरुआत मुजफ्फरनगर से हुई। ऐसा क्यों? इसकी पड़ताल करने हम ग्राउंड पर पहुंचे। यहां सड़क किनारे कई रेस्टोरेंट, होटल और ढाबे मिले। सभी पर संचालक और व्यंजनों की डिटेल लिखी है। नाम को हाई लाइट किया गया है। इनमें कुछ ऐसे भी हैं, जिन पर हिंदू देवी-देवताओं की फोटो लगी हैं। नाम में हिंदू या मुस्लिम, स्पष्ट लिखा गया है। योगी सरकार के आदेश का लोगों पर क्या असर है।
ढाबा संचालक ने 4 मुस्लिम कर्मचारी हटाए: हमारे सफर की शुरुआत मुजफ्फरनगर के छभ्-58 के साक्षी टूरिस्ट ढाबा से हुई। ये वही ढाबा है, जहां से 4 मुस्लिम कर्मचारियों को निकाल दिया गया। मीडिया से मुलाकात में ढाबा चलाने वाले विनोद राठी से हुई। हमने सरकारी आदेश पर पूछा कि क्या ये सही है? विनोद ने कहा- सब पॉलिटिकल स्टंट है, इस तरह की राजनीति से देश बर्बाद होगा। हमने पूछा- कर्मचारियों को क्यों निकाल दिया। उन्होंने बताया- सरकारी आदेश हर साल आते हैं, इस बार कुछ नया नहीं है। सिर्फ डिटेल पब्लिक के सामने रखनी है। कर्मचारियों को कांवड़ यात्रा यानी सावन के महीने भर के लिए काम से बाहर किया है। बाकी कोई कारण नहीं। कुछ दूरी पर फल बेचने वाले आरिफ मिले। वह बोले- हमारे पास भी पुलिस वाले आए थे। पूरी डिटेल लिखा पोस्टर लगाने को कहा। ऐसा क्यों करना है, ये उन्होंने नहीं बताया।
थोड़ा और आगे बढ़ने पर पान की दुकान चलाने वाले फैज आलम मिले। उन्होंने कहा- दुकानों पर पोस्टर लगाने के लिए प्रशासन का दबाव है।
हमने पूछा- इसका क्या असर होने वाला है? इस पर बोले- यह तो कांवड़ के बाद ही पता चलेगा।
अब हमने ढाबा चलाने वाले संदीप अरोड़ा से बात की। उन्होंने कहा- शासन से जो आदेश आया है, उसे फॉलो करना जरूरी है। पुलिस वाले हमारे पास आए थे। उन्होंने नाम नंबर और रेट लिस्ट लगाने को कहा था। जो हमने लगवा दी है। कांवड़ियों को कभी-कभी भ्रम हो जाता है कि कहीं ढाबे पर लहसुन-प्याज की सब्जी न बनती हो। जिससे उनकी कावड़ यात्रा भंग ना हो जाए। नाम लिखने से यह होगा कि कावड़िए उलझेंगे नहीं। उन्हें पता चलेगा कि यहां सात्विक भोजन मिलता है, तो वह वहीं पर जाएंगे। सरकार ने जो किया वो सोच-समझ कर किया।
मुस्लिम कर्मचारियों को छुट्घ्टी दे दी
फुरकान ढाबा पर काम करने वाले कारीगर प्रवीण कुमार ने कहा- कुछ दिन पहले तक इस ढाबे का नाम मानु ढाबा था। लेकिन जब प्रशासन के आदेश आए, तो उन्होंने अपने दाबे का नाम फुरकान रख लिया। यहां पर 8 कर्मचारी काम करते हैं। 2 मुस्लिम हैं, बाकी सब हिंदू हैं। नियम के हिसाब से रेट लिस्ट और नाम नंबर भी लिख दिए हैं।
वहीं पर ग्राहक हाजी शाहरुलद्दीन ने कहा- सरकार ने जो आदेश दिया है, वह गलत है। यह सब ढोंग बना रखा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। जिसे खाना होगा वह कहीं भी जाकर खा लेगा।
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मुसलमान कुछ भी कर ले, नाम नहीं होता
एहसान बोले- हमें तो कांवड़ियों की सेवा करनी है
मोहम्मद एहसान ने कहा – यहां हिंदू मुस्लिम वाली बात नहीं है।
मोहम्मद एहसान ने कहा – यहां हिंदू मुस्लिम वाली बात नहीं है।
मोहम्मद एहसान कहते हैं- हम तो कांवड़ियों की सेवा कर रहे हैं। लेकिन जो आदेश आया है, वो गलत है। मुजफ्फरनगर का सारा मुसलमान कांवड़ियों की सेवा करता आया है। सभी समुदाय के लोग कांवड़ियों की सेवा करने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। योगी जी का ये आदेश समझ नहीं आया।
योगी सरकार के आदेश के मायने…
वरिष्ठ पत्रकार राकेश शर्मा कहते हैं- कांवड़ व्यवस्था कई साल से चली आ रही है। हर साल 1-1.5 करोड़ कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लेकर मुजफ्फरनगर की सीमा से गुजरते हैं। सभी संप्रदाय के लोग कांवड़ियों की सेवा करते आए हैं। लेकिन इस बार ये इश्यू बन गया है। ये कोई इश्यू नहीं है। कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाली मीट की दुकानों को मुस्लिम समाज के लोग खुद ही कांवड़ यात्रा के दौरान बंद रखते हैं। इसकी कोई जरूरत नहीं थी। लेकिन इस पर सियासत हो रही है।
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यूपी में कांवड़ यात्रा मार्गों पर पड़ने वाली दुकानों में दुकानदार को अपना नाम लिखना होगा। इसमें दुकान मालिक का नाम और डिटेल लिखी जाएगी। शुक्रवार को सीएम योगी ने यह आदेश दिया। सरकार का कहना है कि कांवड़ यात्रियों की शुचिता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया है। इसके अलावा, हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई होगी.