मेरठ। उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित तथा रघुनाथ गर्ल्स पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज मेरठ की प्राचार्या प्रो. निवेदिता कुमारी के संरक्षण में चित्रकला विभाग के साथ संस्था नवप्रवर्तन परिषद्, अनुसंधान विकास प्रकोष्ठ व आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में डिफरेंट टेक्निक्स एंड ट्रेंड्स ऑफ इंडियन आर्ट विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. ज्ञान प्रकाश वर्मा (अधिकारी,रीजनल हायर एजुकेशन, मेरठ) एवं महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. निवेदिता कुमारी द्वारा भारतीय पारंपरिक पद्धति के अनुसार दीप प्रज्ज्वलन एवं मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया।
डॉ. ज्ञान प्रकाश वर्मा,डॉ. महावीर सिंह, प्रो. ऋचा कंबोज, डॉ हरिओम शंकर, प्रो. अर्चना रानी, डॉ नाजिमा इरफान तथा महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. निवेदिता कुमारी द्वारा संगोष्ठी की पुस्तिका सौविनयर का विमोचन किया गया। यह पुस्तिका न केवल चित्रकला के छात्रों के लिए अपितु अन्य जिज्ञासुओं के लिए भी ज्ञानवर्धक सिद्ध होगी। राष्ट्रीय संगोष्ठी में असम, राजस्थान, मध्य प्रदेश, श्रीनगर, दिल्ली, अवध, इलाहाबाद, लखनऊ, सुल्तानपुर , प्रतापगढ़, जौनपुर, उत्तराखंड, मथुरा, आगरा हरियाणा, इत्यादि क्षेत्रों के प्राध्यापकों, शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया।
महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. निवेदिता कुमारी ने कहा कि आज हम सब यहां कला की दशा और दिशा दोनों पर विचार करने के लिए एकजुट हुए हैं । यह संगोष्ठी निश्चित रूप से कला के साथ जीवन के संबंध के अनेक पहलुओं को भी जानने में मदद करेगी। संगोष्ठी में उपस्थित वक्ताओं के अनुभव कला को एक नया आयाम देने में कारगर सिद्ध होंगे।
मुख्य अतिथि वक्ता डॉ. महावीर सिंह ने बताया कि चित्र का अर्थ है- अद्भुत और आश्चर्य। उन्होंने कला का अर्थ बताते हुए कहा कि क का अर्थ है कर्म और कला का अर्थ है लालित्य । जिस मनुष्य में कर्म और लालित्य का समावेश होगा वह निश्चित रूप से एक अच्छा कलाकार होगा।
द्वितीय अतिथि वक्ता ऋचा कंबोज ने इमर्जिंग ट्रेंड्स ऑफ कंटेंपरेरी इंडियन आर्ट कॉन्क्यूरेंस ऑफ ट्रेडीशन एंड मॉडर्निटी विषय पर कर गर्वित व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि कला के क्षेत्र में नाम कमाना चाहते हैं तो आपके पास मीडिया तकनीक में असीम संभावनाएं हैं । तृतीय अतिथि वक्ता डॉ. हरिओम शंकर ने इंपॉर्टेंस ऑफ इंडियन ट्रेडिशनल पेंटिंग एंड मुरल टेक्निक पर अपना विचार व्यक्त किया। उन्होंने कला के स्रोत, भारतीय कला का महत्व, सिंधु घाटी सभ्यता में कला का स्वरूप, भारतीय ग्रंथों में चित्र सर्जना के सिद्धांत, भारतीय चित्रकला का धार्मिक और आध्यात्मिक स्वरूप, भारतीय चित्रकला में रेखा कर्म और भावाभिव्यक्ति पर विस्तृत प्रकाश डाला। संजय कुमार (विभागाध्यक्ष, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक, हरियाणा) ने कला की विभिन्न शैलियों पर प्रकाश डाला साथ ही आधुनिक कला कैसे विकसित हुई इसपर विस्तृत चर्चा की। प्रो. दिनेश कुमार े कहा कि विज्ञान और तकनीक जितना हम हमारे लिए कारगर हैं उतने ही वह छात्र-छात्राओं के लिए नुकसान देह हो सकते हैं क्योंकि छात्र-छात्राएं उसे पर अपना समय नष्ट कर करते हैं उन्होंने कहा कि हमें विज्ञान का प्रयोग तकनीक का प्रयोग अपने शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए करना चाहिए । डॉ. रजनी बंसल ने आधुनिक युग में डिजिटल कला की चुनौतियां विषय पर बेहद सारगर्भित प्रपत्र वाचन किया।
इस अवसर पर रघुनाथ गर्ल्स पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज की संरक्षिका व प्राचार्या प्रो. निवेदिता कुमारी, संगोष्ठी की संयोजिका प्रो. अर्चना रानी (प्रभारी, चित्रकला विभाग), प्रो. सुनीता (मीडिया प्रभारी), प्रो. कल्पना चौधरी (अधिष्ठाता विज्ञान संकाय),प्रो. नीलम सिंह (चीफ प्रॉक्टर), प्रो. पारुल सिंह ( अधिष्ठाता कला संकाय) मौजूद रहीं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शुभम त्यागी (असिस्टेंट प्रो., बीएड विभाग) ने किया।
संगोष्ठी की संयोजिका प्रो. अर्चना रानी (विभागाध्यक्ष, चित्रकला विभाग) ने धन्यवाद ज्ञापित किया।