
कानपुर एजेंसी। भारत पाकिस्तान तनाव के बीच पाक का साथ देने पर कानपुर के
कारोबारियों ने तुर्किये से व्यापारिक संबंध खत्म कर दिए हैं। टर्किस मार्बल के करीब 80 फीसदी ऑर्डर कैंसिल कर दिए। लेदर और एग्रीकल्चर से जुड़ा सामान भी तुर्किये नहीं भेजेंगे। कानपुर में तुर्किये से एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का करीब 1300 करोड़ का सालाना कारोबार होता है। इसमें अकेले मार्बल का सलाना कारोबार करीब 600 करोड़ रुपए का है। वहीं अलीगढ़ के कारोबारी भी तुर्किये को ताला और हार्डवेयर के सामान नहीं भेजेंगे। मुस्लिम विश्वविद्यालय ने तुर्किये से अपने सभी शैक्षिक संबंध खत्म कर दिए। अब ।डन् का तुर्किये के किसी भी विश्वविद्यालय के साथ कोई संबंध नहीं रहेगा। कानपुर के कारोबारियों ने तुर्किये का मार्बल मंगाने से इनकार कर दिया है। द कानपुर में 1300 करोड़ का सालाना होता है कारोबारः फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने बताया- तुर्किये में कानपुर के लेदर, एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिक उत्पादों की ज्यादा डिमांड है। इसके अलावा मीट, डेयरी, प्लास्टिक, पशुओं के आहार संबंधी सामान भी भेजा जाता है। यह कारोबार सालाना 700 करोड़ का होता है। द कारोबारियों ने ऑर्डर कैंसिल कराए: कारोबारी प्रशांत तिवारी ने बताया- टर्किस मार्बल स्टेट्स सिंबल है, इसलिए लोग इसका प्रयोग करते हैं। लेकिन इंडियन मार्बल इससे लाख गुना अच्छा है। कारोबारी संजय कुमार जैन बताते हैं कि करीब 50 लाख का माल मंगाया था। पूरे ऑर्डर को ही कैंसिल कर दिया है। लोग विरोध के चलते ज्यादा डिमांड भी नहीं कर रहे हैं। द भारतीय बाजार को 10 फीसदी नुकसान: मार्बल कारोबारी विजय गुप्ता ने बताया कि से भारतीय बाजार को 10 फीसदी का नुकसान हो सकता है। लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान तुर्किये को होगा। तुर्किये से माल हम नहीं खरीदेंगे तो नुकसान उनको ज्यादा होगा। मार्बल में टर्किस मार्बल एक वैराइटी है। ऐसी दर्जनों वैराइटी इंडियन मार्केट में मौजूद है। इसलिए भारतीय बाजारों को कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। द तुर्किये का न सेब लेंगे और न ताला भेजेंगे: कानपुर में रोजाना करीब 2 ट्रक सेब कानपुर की फल मंडियों में आता है। कानपुर फ्रूट एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश सिंह ने बताया कि दुश्मन के साथ किसी भी तरह का कारोबार नहीं करेंगे। वहीं अलीगढ़ के हार्डवेयर कारोबारी वीरेंद्र गोस्वामी ने कहा- अलीगढ़ से तुर्किये के लिए हार्डवेयर नहीं भेजा जाएगा। ताला कारोबारी विशाल गुप्ता ने कहा- तुर्किये का विरोध हर स्तर पर किया जाएगा। यहां से ताला वहां नहीं भेजा जाएगा। ।डन् ने भी तुर्किये से तोड़े सभी शैक्षणिक संबंध एएमयू का तुर्किये के साथ पुराना शैक्षणिक संबंध रहा है। पिछले कुछ सालों में भारत-तुर्किये के संबंधों पर केंद्रित सम्मेलन और कई संयुक्त रिसर्च कराए गए। तुर्किये के विद्वान और छात्र व्याख्यान देने आए। इस्तांबुल के आयडिन विश्वविद्यालय और अंकारा स्थित अंकारा मेडिपोल विश्वविद्यालय में एएमयू के शिक्षक और छात्र भ्रमण पर जाते रहे हैं। मगर अब यह सिलसिला खत्म हो गया है। एएमयू के जनसंपर्क अधिकारी उमर पीरजादा ने बताया- वर्तमान में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का तुर्किये के साथ किसी भी प्रकार का कोई शैक्षणिक एग्रीमेंट नहीं है। पहले क्या रहा, उस पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती। मगर अब सभी शैक्षणिक संबंध समाप्त कर दिए गए हैं। कहा- एएमयू के विदेशी भाषा विभाग में तुर्की भाषा का एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स संचालित है। वर्तमान स्थिति में इस कोर्स के संचालन पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि यह सिर्फ एक भाषा है, जिसे छात्र सीखते हैं।