
मेरठ संवाद सूत्र। सौरभ हत्याकांड की आरोपी मुस्कान प्रेग्नेंट है। 5 अप्रैल को उसकी तबीयत बिगड़ गई थी। जेल प्रशासन ने जिला अस्पताल से डॉक्टर बुलाए। 7 अप्रैल को लेडी डॉक्टर कोमल ने जिला जेल में उसका टेस्ट किया। इसमें उसकी प्रेग्नेंसी की पुष्टि हुई। जेल मेन्युअल के मुताबिक, जन्म के बाद 6 साल तक बच्चा जेल परिसर में अपनी मां के साथ बैरक में रह सकता है। अब 2 सवाल उठते हैं। पहला- मुस्कान का बच्चा किसका है? दूसरा- इस बच्चे को कौन पालेगा? इस बारे में जब मृतक के भाई से बात की तो उसने कहा कि ये बच्चा सौरभ का होगा, तब हम पालेंगे, सौरभ के भाई राहुल उर्फ बबलू ने कहा- हमें पता चला है कि मुस्कान गर्भवती है। अब हम क्या कहे? अगर यह बच्चा सौरभ का है, तो हम उसे स्वीकार करेंगे, पालेंगे भी। अगर वह बच्चा सौरभ का नहीं हुआ, तब हमें इस बच्चे से कोई मतलब नहीं होगा। इसके लिए पुलिस कानूनी रूप डीएनए टेस्ट करवाए। राहुल कुछ सोचते हुए कहते हैं- वैसे हमें उम्मीद कम है कि वह बच्चा सौरभ का होगा? क्योंकि वह लंदन से आने के बाद कुल 6 दिन ही मुस्कान के साथ रहा। उसके बाद मुस्कान ने साहिल के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद मुस्कान लगातार साहिल के साथ रही। उत्तराखंड और हिमाचल की जो तस्वीरें सामने आईं, उसमें वह नशे में दिख रही है। साहिल के साथ उसके संबंध भी बने होंगे। मुझे तो लगता है कि साहिल या हो सकता है कि यह बच्चा किसी तीसरे शख्स का हो। मगर फिर भी अगर यह सौरभ का बच्चा है, तो वह हमारे परिवार का हिस्सा बनकर रहेगा। मां ने कहा- वो हमारे लिए मर गई: मुस्कान की मां कविता रस्तोगी और पिता प्रमोद ने कैमरे पर बात करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा- हमारा मुस्कान से अब कोई संबंध नहीं है। मुस्कान हमारे लिए मर चुकी है। जिस दिन उसने एक पराए लड़के के लिए अपने पति सौरभ को मार डाला, उसी दिन हमारे संबंध खत्म हो गए। मुस्कान के बच्चे से हमारा ताल्लुक नहीं है। हम नहीं जानना चाहते हैं कि उसको क्या सजा होगी? वो प्रेग्नेंट है तो यह बच्चा किसका है? हम कुछ नहीं जानना चाहते। हम मुस्कान और उसके बच्चे को स्वीकार नहीं करेंगे। मगर पीहू का हम पूरा ख्याल रखेंगे। अच्छी परवरिश देंगे। सीनियर एडवोकेट चौधरी अब्दुल वहाब से बातचीत: मुस्कान की प्रेग्नेंसी का सौरभ मर्डर केस पर क्या असर होगा? सीनियर एडवोकेट चौधरी अब्दुल वहाब से बातचीत की। उन्होंने कहा कि अगर कोई महिला बंदी गर्भवती होती है, तो उसे इलाज और डाइट की सभी अच्छी सुविधाएं जेल मैन्युअल के अनुसार दी जाती हैं। ठडै की धारा 456 कहती है अगर कोई स्त्री, जिसे मृत्युदंड दिया गया है, सजा सुनाने के वक्त वो गर्भवती पाई जाती है, तब उच्च न्यायालय आदेश को आजीवन कारावास में बदल सकता हैं, लेकिन अगर उसे आजीवन कारावास ही मिलती है। तब उसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा। वहीं अगर ऐसी महिला जिसकी डिलीवरी हो चुकी है, तब उसे मृत्युदंड दिया गया है तो वो सजा यथावत रहेगी। हालांकि, गर्भवती होने के कारण मुस्कान की सजा में कोई रियायत नहीं होगी। जमानत की अर्जी दाखिल करने का एक ग्राउंड हो सकता है। मगर इससे ज्यादा कुछ नहीं। जेल अधीक्षक बोले- गर्भवती महिलाओं से भारी काम नहीं कराए जाते: जिला जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ. वीरेश राज शर्मा ने कहा- जेल मेन्युअल के अनुसार गर्भवती महिला बंदियों को उचित इलाज, हेल्थ सुविधाएं, उसी के अनुसार डाइट दी जाती है। समय-समय पर उनका परीक्षण कराया जाता है। उन्हें जेल के अस्पताल में रखा जाता है। जेल के डॉक्टर उनका परीक्षण करते हैं। जरूरत पड़ने पर अगर डॉक्टर रिकमेंड करते हैं, तब उन्हें कस्टडी में जिला अस्पताल में इलाज और जांच के लिए भेजा जाता है। गर्भवती महिला बंदियों से जेल में भारी काम नहीं कराए जाते, उनकी सजा का असर उनके स्वास्थ्य और गर्भस्थ शिशु पर न हो इसका ध्यान रखा जाता है। सीएमओ ने कहा- दोनों बंदियों का अल्ट्रासाउंड होगा: सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया ने कहा- मुस्कान और संगीता दो बंदी गर्भवती मिली हैं। दोनों का प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है। दोनों महिलाओं को खून बढ़ाने वाली दवाएं दी गई हैं। कितने महीने की प्रेग्नेंसी है? अभी यह नहीं बता सकते, दोनों महिलाओं का अल्ट्रासाउंड कराया जाएगा।