नई दिल्ली एजेंसी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लद्दाख के लेह में पहुंच चुके हैं। जहां वह सियाचिन में तैनात सशस्त्र बलों के जवानों से मिले और बातचीत की। आज सुबह ही दिल्ली से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सियाचिन के लिए विमान से रवाना हुए थे।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट साझा कर लिखा कि सियाचिन के लिए दिल्ली से रवाना हो रहा हूं। वहां तैनात हमारे साहसी सशस्त्र बल कर्मियों के साथ बातचीत करने के लिए उत्सुक हूं। सियाचिन में जवानों के साथ मुलाकात के दौरान वहां भारत माता की जय के जोरदार नारे लगे। इस दौरान राजनाथ सिंह भी वहां पर मौजूद थे। सियाचिन बेस कैंप में जवानों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर आप जिस तरह से देश की रक्षा करते हैं। उसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं। उन्होंने आगे कहा कि सियाचिन की भूमि कोई सामान्य भूमि नहीं है। यह एक प्रतीक है।
यह देश की संप्रभुता और दृढ़ता का प्रतिनिधित्व करता है। हमारी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली है, मुंबई हमारी आर्थिक राजधानी है, हमारी तकनीकी राजधानी बेंगलुरु है, लेकिन सियाचिन वीरता और साहस की राजधानी है।
इससे पहले रक्षा मंत्री कार्यालय ने श्एक्सश् पर उनके दौरे की जानकारी साझा की थी। बताते चलें कि होली के अवसर पर राजनाथ सिंह का सियाचिन जाकर सैनिकों के साथ त्योहार मनाने का कार्यक्रम था, लेकिन खराब मौसम के चलते उनका कार्यक्रम स्थगित हो गया था। उस वक्त रक्षा मंत्री लेह में ही सैनिकों के साथ होली मनाकर लौट गए थे।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह भारतीय सेना ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर पर अपनी मौजूदगी के 40 साल पूरे किए। काराकोरम रेंज में करीब 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया का सबसे ऊंचा सैन्य क्षेत्र माना जाता है, जहां सैनिकों को शीतदंश और तेज हवाओं से जूझना पड़ता है। अपने श्ऑपरेशन मेघदूतश् के तहत भारतीय सेना ने अप्रैल 1984 में सियाचिन ग्लेशियर पर अपना पूर्ण नियंत्रण स्थापित किया था।
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सेना ने सियाचिन में अपनी मौजूदगी मजबूत की है। पिछले साल जनवरी में, सेना के इंजीनियर्स कोर से कैप्टन शिवा चौहान को सियाचिन ग्लेशियर में एक अग्रिम पंक्ति की चौकी पर तैनात किया गया था, जो कि प्रमुख युद्धक्षेत्र में किसी महिला सेना अधिकारी की पहली ऐसी परिचालन तैनाती थी।