लखनऊ एजेंसी। पहले चरण में पश्चिम उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। प्रचार के युद्ध में सबसे पावरफुल बीजेपी दिखाई दे रही है। इन 8 सीटों पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो रैली की, जबकि अमित शाह ने तीन। योगी आदित्यनाथ 21 जनसभाओं और रोड-शो में पहुंचे। प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम, 15 राज्य सरकार के मंत्री और 10 से ज्यादा केंद्रीय मंत्रियों की सभाएं हुईं। हरियाणा और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी यहां पहुंचे।
फर्स्ट फेज के पॉलिटिकल कैंपेन का ऑडिट किया जाए तो प्रचार वार में भाजपा सपा-बसपा से 7 गुना ज्यादा ताकत दिखाती नजर आई।
ठश्रच् के बड़े चेहरों ने पहले फेज की 8 सीटों पर 27 रैलियां कीं। वहीं, अखिलेश यादव और मायावती ने 4-4 जनसभाएं कीं। हां 1-2 जनसभाएं आकाश आनंद ने भी की। प्रियंका का एक रोड शो भी हुआ। इस पूरे कैंपेन में राम मंदिर, हिंदू-मुस्लिम, दलित/ ओबीसी और पश्चिम यूपी को अलग राज्य बनाने का मुद्दा छाया रहा। अब जानते हैं भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस के किस बड़े नेता ने फर्स्ट फेज की सीटों पर कितनी ताकत लगाई…
पहले फेज की 8 सीटों के लिए पीएम मोदी पीलीभीत और सहारनपुर में चुनावी रैली करने पहुंचे। पीलीभीत सीट पर वरुण गांधी का टिकट कटा है, इसी को चुनौती मानते हुए मोदी यहां रैली करने पहुंचे, जबकि सहारनपुर सीट बीजेपी हार गई थी। इन दो रैलियों से मोदी ने पूरे पश्चिम यूपी को साधने की कोशिश की।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन 8 सीटों पर 21 रैलियां और रोड-शो किए हैं। औसतन हर सीट पर दो बार पहुंचे हैं। बिजनौर-नगीना सीट पर तो 5 चुनावी रैली की। पीलीभीत में भी तीन बार पहुंचे। योगी दो-तीन ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं, जो वोटर्स को प्रभावित कर सकती हैं।
मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर हिंदुओं के धु्रवीकरण की कोशिश
हमने उत्तर प्रदेश में दंगा मुक्त माहौल दिया है। कर्फ्यू लगाने वालों को शांत कर दिया है। आज तो यूपी में लोग दंगा करना भी भूल गए। पत्थरबाजी भी भूल गए। पहले छोटी-छोटी बात पर पत्थरबाजी करने लगते थे। पहले होली, दीवाली, रक्षाबंधन पर कर्फ्यू लग जाता था। कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी जाती थी। योगी का यह बयान पश्चिम यूपी में सीधे ध्रुवीकरण का संदेश है। 10 से ज्यादा सीटें पूरी तरह हिंदू और मुस्लिम वोटों के गणित पर चलती हैं। मुख्तार और अतीक के नाम पर जमीन मजबूत कर रहे
आज कोई माफिया जेल में है, तो कोई जहन्नुम में। बाकी जो बचे, खुद राम नाम सत्य की यात्रा पर निकल गए। पहले जब ये चलते थे, तो मुख्यमंत्री और मंत्रियों के काफिले रुक जाते थे। सरकार बदली तो हमने कहा ये काफिले और हूटर बंद होने चाहिए। फिर उनकी गर्मी को शांत कर दिया गया। जिनकी गर्मी शांत हो गई है, उन्हें ये जातिवादी फिर से पनपने दे रहे हैं। माफिया मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद का नाम लिए बगैर योगी प्रदेश की कानून व्यवस्था दिखाने की कोशिश करते हैं। विधानसभा चुनाव में भी योगी ने इसी अंदाज में प्रचार किया था, जिसके सहारे बीजेपी सत्ता में आई।
लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर एक मुद्दा बना हुआ है। देश भर में योगी के बुलडोजर मॉडल का प्रचार भी हो रहा है।
मायावती की बड़ी बातें पश्चिम यूपी को बनाएंगे जाटलैंड, मेरठ में हाईकोर्ट
मायावती ने कहा कि अगर केंद्र में उनकी सरकार मजबूती के साथ आती है, तो पश्चिम यूपी को अलग राज्य बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। यूपी में श्श्जाट लैंडश्श् अलग राज्य बनाने और हाईकोर्ट की बेंच पश्चिम यूपी को मिले।
2011 में मायावती ने यूपी को चार राज्यों में बांटने का प्रस्ताव भी दिया था। इसमें हरित प्रदेश, अवध प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वांचल शामिल थे। पश्चिमी यूपी के मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, बुलंदशहर, बिजनौर और हापुड़ में जाट बाहुल्य आबादी है। इसलिए इसे जाट लैंड बनाने का प्रस्ताव बनाया था। मायवाती ने अपने इस बयान से इन जिलों की लोकसभा सीटों को साधने की कोशिश की। मायावती ने कहा, मुजफ्फरनगर से मैं मुस्लिम कैंडिडेट उतारना चाहती थी। लेकिन, दहशत में कोई नहीं लड़ा।
पश्चिमी यूपी में हमने कभी कोई दंगा नहीं होने दिया। लेकिन सपा सरकार में जाट-मुस्लिम भाईचारे को तोड़ा गया। हमने जाट समाज की उपेक्षा नहीं की।
मायावती पश्चिम यूपी में मुस्लिमों में डर दिखाकर बसपा की ओर मोड़ने की कोशिश कर रही हैं।