1 प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पुस्तक, फल एवं मिठाई की वितरित1कुलपति ने दिलाई उपाधि प्राप्तकर्ताओं को शपथ, दिया दीक्षोपदेश।
सहारनपुर। कुलाधिपति व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय किसी भी राष्ट्र को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इनके द्वारा दी गयी शिक्षा-दिक्षा से ही युवा देश की प्रगति में अपना सकारात्मक योगदान देते हैं। 20 वीं सदी के प्रारम्भ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं.मदन मोहन मालवीय सहित अनेक विद्वान लोगों ने विश्वविद्यालय प्रारम्भ किए। यह विश्वविद्यालय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रवाद के केन्द्र थे। विश्वविद्यालय केवल डिग्री देने के केन्द्र न बनते हुए स्थानीय जरूरतों के अनुसार शोध एवं विकास में योगदान दें तथा क्षेत्र की समस्याओं का सरल समाधान उपलब्ध कराएं।
कुलाधिपति एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश शासन श्रीमती आनंदीबेन पटेल जनमंच सभागार में मां शाकम्भरी विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षान्त समारोह को संबोधित कर रही थी। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल एवं पदम श्री योगाचार्य भारत भूषण द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में राज्यपाल द्वारा 06 कुलाधिपति स्वर्ण पदक, 49 कुलपति स्वर्ण पदक एवं एक छात्रा को शत-प्रतिशत अंक के लिए प्रायोजित स्वर्ण पदक दिया गया। यूनिवर्सिटी के प्रथम दीक्षांत समारोह में कुल 12755 छात्रों को उपाधियां दी गयी। इसमें 4077 छात्र एवं 8677 छात्राएं शामिल है। आंगनबाडी को पांच किट देने के साथ ही उच्च प्राथमिक विद्यालय सरकडी शेख, आसनवाली, पुंवारका के 30 छात्र-छात्राओं को पुरस्कार दिए। राज्यपाल द्वारा इन छात्र-छात्राओं को 200 पुस्तकें भी दी गयी। इसी के साथ 12755 उपाधियों की सूची पर हस्ताक्षर किए एवं उपाधियों को डिजीलॉकर पोर्टल पर ऑनलाइन अपलोड किया।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय रिकार्ड संख्या में वैश्विक रैंकिंग में प्रवेश कर रहे है। उत्तर प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान कर रहे है। प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान के अन्तर्गत प्रदेश के नैक में उच्चतम ग्रेड प्राप्त करने वाले 06 विश्वविद्यालयों में प्रत्येक को 100 करोड़ रूपये की धनराशि का अनुदान प्रदान किया गया है, जबकि 04 विश्वविद्यालयों में प्रत्येक को 20 करोड़ रूपये, 02 विश्वविद्यालयों में प्रत्येक को 19 करोड़ 99 लाख 99 हजार रूपये तथा 01-01 विश्वविद्यालय को क्रमशः 13 करोड़ 38 लाख 90 हजार, 06 करोड़ 53 लाख 11 हजार 262 रूपये की धनराशि प्रदान की गयी है। एनआईआरएफ रैंकिंग में विश्वविद्यालयों ने अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। एक बेहतर समाज और देश बनाना ही शिक्षा का सही उद्देश्य है।
श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय से प्राप्त ज्ञान के द्वारा समस्याओं को हल करने एवं गांव के विकास करने में सहायता मिलेगी। उन्होने कहा कि लोकतंत्र में एक-एक मत का महत्वपूर्ण स्थान होता है इसलिए युवा जागरूक मतदाता बनकर स्वयं मतदान करें एवं अन्यों को भी मतदान करने के लिए प्रेरित करें।
कुलाधिपति ने कहा कि विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, मेडिकल कॉलेज के साथ ही आंगनबाडी केन्द्रों पर ध्यान दिया जाए। उन्होने जनप्रतिनिधियों को आवाहन करते हुए कहा कि सभी जनप्रतिनिधि आंगनबाडी केन्द्रों में जाएं एवं बच्चों से संवाद स्थापित करते हुए आंगनवाडी कार्यकत्रियों से समस्याओं का संज्ञान लें।
उन्होने आंगनवाडी केन्द्रों को मिली किट की एक साल की सर्वे रिपार्ट यूनिवर्सिटी तैयार कर उपलब्ध कराएगी।
उन्होने कहा कि मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य बच्चों की नियमित उपस्थिति के साथ ही कुपोषण को समाप्त करना है। इसी के साथ शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव पर भी ध्यान दिया जाए जिससे समय रहते बच्चे की चिकित्सीय जांच हो सके।
कुलाधिपति ने कहा कि सहारनपुर जनपद प्राचीन काल से ही धर्म और भारतीय परम्परा का केन्द्र रहा है। यहाँ पर माता शाकुम्भरी देवी सिद्धपीठ के अतिरिक्त बाबा भूरादेव का मं0िदर, माँ बाला सुन्दरी मंदिर भूतेश्वर महादेव मन्दिर आदि हिन्दू आस्था के प्रमुख स्थल हैं।
इस्लामिक शिक्षा का केन्द्र दारूल उलूम सहारनपुर जनपद के देवबन्द तहसील में अवस्थित एक विश्व प्रसिद्ध संस्थान है। यह यह क्षेत्र पहले से ही अपने लघु, मध्यम एवं वृहद उद्योग-धन्धों के लिए जाना जाता है। यहाँ की लकड़ी की नक्काशी विश्व प्रसिद्ध है। लकड़ी के सामानों के अतिरिक्त कागज उद्योग के लिए भी सहारनपुर का नाम अग्रणी रूप से लिया जाता है।
मुख्य अतिथि योग गुरू पदम भारत भूषण ने कहा कि विश्वविद्यालय के नामकरण में शाकुम्भरी शब्द लिखा है जोकि ऐसा लगता है कि टंकण त्रुटि के कारण ऐसा हुआ है। उन्होने कुलाधिपति से इसको संशोधित करने के लिए निवेदन किया। उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय के नाम में त्रुटि होने से पीढियां तक इसका गलत संदेश जाएगा। उन्होने कहा कि ज्ञानार्जन का अंतिम ध्येय विद्या प्राप्ति है और इसी विद्या प्राप्ति के द्वारा अंधकार से मुक्ति पाई जा सकती है।
कुलपति प्रोफेसर एचएस सिंह ने कहा कि भविष्य में शासन द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रमों का अध्ययन एवं अध्यापन प्रारम्भ किया जाएगा। उन्होने कहा कि आने वाले समय में ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में शोध कार्यों को गति देने का कार्य किया जाएगा। इस अवसर पर राज्यमंत्री संसदीय कार्य एवं औद्योगिक विकास जसवंत सैनी, राज्यमंत्री लोक निर्माण विभाग ब्रजेश सिंह, सांसद कैराना प्रदीप चौधरी, विधायक गंगोह किरत सिंह, विधायक रामपुर मनिहारान देवेन्द्र निम, महापौर डॉ.अजय सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष मांगेराम चौधरी, जिलाधिकारी डॉ.दिनेश चन्द्र, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ.विपिन ताडा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।